भारत अपनी समुद्री सुरक्षा को और भी मजबूत करने के लिए C-295 मिलिट्री एयरक्राफ्ट को अपग्रेड कर रहा है। वायुसेना के इस शक्तिशाली विमान को अब भारतीय नौसेना और इंडियन कोस्टगार्ड के मल्टी मिशन के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। डिफेंस सूत्रों के मुताबिक, इस विमान को मेक इन इंडिया के तहत मॉडिफाई किया जा रहा है ताकि यह समुद्री सुरक्षा में और भी सक्षम हो सके।
इसके अपग्रेडेड संस्करण में एंटी शिप मिसाइल क्षमता, टॉरपीडो लांचिंग क्षमता, एयर लॉन्च सोनोबॉय, और उन्नत रडार और सर्विलांस सिस्टम जैसे महत्वपूर्ण फीचर्स जोड़े जाएंगे। यह विमान दुश्मन के युद्धपोतों को निशाना बनाने में सक्षम होगा और समुद्री सीमा की निगरानी में भी मददगार साबित होगा।
C-295 को अब एक मल्टी मिशन समुद्री विमान के रूप में मॉडिफाई किया जा रहा है, जो न केवल हमारी समुद्री सुरक्षा को सुदृढ़ करेगा, बल्कि समुद्री सीमाओं की निगरानी को और भी प्रभावी बनाएगा। यह भारत के समुद्री रक्षा तंत्र को एक नई ताकत प्रदान करेगा, जिससे दुश्मन के खिलाफ रणनीतिक संचालन को आसान बनाया जाएगा।
सी-295 विमान मुख्य रूप से सैन्य परिवहन, लॉजिस्टिक्स समर्थन और अन्य सैन्य कार्यों के लिए डिजाइन करने की योजना बनाई जा रही है, जो इस प्रकार हैं:
एंटी-शिप मिसाइल क्षमता
सी-295 को एंटी-शिप मिसाइलों के साथ मॉडिफाई किया जा सकता है. जिसमें DRDO द्वारा निर्मित शॉर्ट रेंज और मीडियम रेंज की मिसाइलों से लैस किया जा सकता है. मिसाइलें 100 से 500 किलोमीटर तक की दूरी से हमला कर सकती हैं. इससे एयरक्राफ्ट की इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर क्षमताएं बढ़ेगी.
एयरबॉर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल (एईडब्ल्यूसी)
सी-295 को एईडब्ल्यूसी क्षमता के साथ मॉडिफाई किया जा सकता है. एयरबॉर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल (AEW&C) सिस्टम एक विमान-आधारित प्रणाली है, जो हवाई और जमीनी खतरों की जल्दी पहचान और ट्रैकिंग के लिए डिजाइन की गई है. यह सिस्टम विमानों को हवाई और जमीनी स्थितियों की निगरानी करने और संबंधित इकाइयों को सूचित करने में सक्षम बनाता है.
टॉरपीडो लॉन्चिंग क्षमता
सी-295 विमान में टॉरपीडो लॉन्चिंग सैन्य क्षमता से लैस करने की योजना बन रही है. जिससे कि ये विमान पानी के नीचे के लक्ष्यों पर हमला करने में सक्षम बन सकता है. यह क्षमता विशेष रूप से दुश्मनों की पनडुब्बियों और युद्धपोतों को निशाना बनाने के लिए डिजाइन किया जा सकता है.
इंटेलिजेंस, सर्विलांस एंड रिकॉनेसेंस (आईएसआर)
सी-295 को आईएसआर क्षमता के साथ मॉडिफाई किया जा सकता है, जिससे कि हमारी समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए निगरानी की जा सकती है साथ ही एक टोही विमान की तरह भी ये भविष्य में काम कर सकेगा.
इसके जरिए आर्म्ड फोर्सेज का ट्रांसपोर्ट, कार्गो एयरलिफ्ट, मेडिकल सपोर्ट और समुद्री पेट्रोलिंग भी शामिल है.
हाल ही में गुजरात के वडोदरा में देश के पहले प्राइवेट मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट C-295 के प्रोडक्शन प्लांट उद्धाटनकिया गया था. यह प्लांट भारत के प्राइवेट एविएशन इंडस्ट्री का पहला फाइनल असेंबली लाइन है.
C-295 एयरक्राफ्ट की क्षमता छोटे और कच्चे रनवे से भी ऑपरेट होने की है. इस खासियत की वजह से ये विमान चुनौतीपूर्ण इलाकों खास तौर से चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) और भारत के रणनीतिक समुद्री सीमा में नेविगेट को आदर्श बनाती है. एयरक्राफ्ट के टॉप क्रूज की स्पीड 482 किमी प्रति घंटे है. इसमें नौ टन तक कार्गो या 71 सैनिकों या 48 पैराट्रूपर्स को ले जाने की क्षमता है. इसी वजह से ये भारतीय डिफेंस फोर्स के लिए एक बहुमुखी और बेहतरीन विकल्प है.