अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित इस महोत्सव का महत्व ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस अवसर पर दी गई शुभकामनाएं न केवल देशवासियों के लिए प्रेरणादायक हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि राम मंदिर भारत की संस्कृति, आध्यात्म और गौरव का प्रतीक है।
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ के उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को शुभकामनाएं दीं. पीएम ने एक्स पर लिखा ‘अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की प्रथम वर्षगांठ पर समस्त देशवासियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं. सदियों के त्याग, तपस्या और संघर्ष से बना यह मंदिर हमारी संस्कृति और अध्यात्म की महान धरोहर है. मुझे विश्वास है कि यह दिव्य-भव्य राम मंदिर विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि में एक बड़ी प्रेरणा बनेगा’
अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की प्रथम वर्षगांठ पर समस्त देशवासियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। सदियों के त्याग, तपस्या और संघर्ष से बना यह मंदिर हमारी संस्कृति और अध्यात्म की महान धरोहर है। मुझे विश्वास है कि यह दिव्य-भव्य राम मंदिर विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि में एक… pic.twitter.com/DfgQT1HorT
— Narendra Modi (@narendramodi) January 11, 2025
महोत्सव का आयोजन:
- तीन दिवसीय कार्यक्रम (11-13 जनवरी 2025):
- आम लोगों को शामिल करने के लिए विशेष व्यवस्था।
- राम जन्मभूमि परिसर में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान।
- रामलीला और कीर्तन जैसे कार्यक्रमों की प्रस्तुति।
- प्रमुख कलाकारों की प्रस्तुति:
- लोकगायिका मालिनी अवस्थी।
- पार्श्व गायिका अनुराधा पौडवाल।
- कवि कुमार विश्वास।
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संबोधन:
- कुबेर टीला पर भक्तों को संबोधित करेंगे।
- संगीत और भक्ति कार्यक्रमों की श्रृंखला।
- संतों और धार्मिक विद्वानों का आमंत्रण:
- देशभर से संतों और श्रद्धालुओं को कार्यक्रम में भाग लेने का मौका।
विशेष व्यवस्थाएं:
- वीवीआईपी पास निरस्त: आयोजन को आम लोगों के लिए अधिक सुलभ बनाने के उद्देश्य से।
- दर्शन का समय बढ़ाया गया: श्रद्धालुओं को सुविधा प्रदान करने के लिए।
- संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रम: अयोध्या के विभिन्न चौराहों पर कीर्तन और भक्ति संगीत।
यह महोत्सव न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण और सामाजिक समरसता का प्रतीक भी है। इस आयोजन से अयोध्या को वैश्विक स्तर पर सांस्कृतिक और आध्यात्मिक नगरी के रूप में और भी मान्यता मिलेगी।