प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार (29 दिसम्बर, 2024) को देशवासियों से मन की बात की। पीएम मोदी की ‘मन की बात’ का 2024 का यह अंतिम संस्करण था। पीएम मोदी ने देशवासियों से मन की बात में 13 जनवरी, 2025 से चालू हो रहे प्रयागराज के महाकुंभ, WAVES समिट, भारत की एनीमेशन इंडस्ट्री और पराग्वे में आयुर्वेद की बढ़ती लोकप्रियता के साथ बस्तर में आयोजित किए खेल समारोह को लेकर बातचीत की। पीएम मोदी ने इस दौरान कृषि से सम्बन्धित मुद्दों पर भी बात की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी ‘मन की बात’ के माध्यम से प्रयागराज महाकुंभ 2025 की विशेषताओं पर चर्चा करते हुए इसे आधुनिक तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के उपयोग से सुसज्जित एक अद्वितीय आयोजन बताया। उन्होंने कुंभ के महत्व और इसकी सांस्कृतिक एकता पर प्रकाश डालते हुए इसे न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बताया।
महाकुंभ 2025 में AI का उपयोग:
- डिजिटल नेविगेशन:
- डिजिटल नेविगेशन सिस्टम की मदद से श्रद्धालु आसानी से घाटों, मंदिरों, साधुओं के अखाड़ों और पार्किंग स्थानों तक पहुँच सकेंगे।
- यह प्रणाली रीयल-टाइम अपडेट प्रदान करेगी, जिससे भीड़ प्रबंधन को भी सरल बनाया जा सकेगा।
- AI चैटबोट:
- पहली बार, AI चैटबोट का उपयोग महाकुंभ में किया जाएगा।
- यह चैटबोट 11 भारतीय भाषाओं में सेवाएँ प्रदान करेगा।
- श्रद्धालु इसके माध्यम से महाकुंभ से संबंधित सभी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे, जैसे—आयोजन स्थल, रस्में, धार्मिक गतिविधियाँ, और यात्रा से जुड़े विवरण।
- स्मार्ट मैनेजमेंट:
- भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा, और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए AI आधारित सिस्टम का उपयोग होगा।
- ड्रोन और सेंसर के माध्यम से घाटों पर निगरानी रखी जाएगी।
- डिजिटल अनुभव:
- डिजिटल माध्यमों से श्रद्धालु महाकुंभ का वर्चुअल अनुभव भी कर सकेंगे।
- ऑनलाइन दर्शन की सुविधा उन लोगों के लिए उपलब्ध होगी जो महाकुंभ में भौतिक रूप से उपस्थित नहीं हो सकते।
प्रधानमंत्री मोदी की अपील:
- प्रधानमंत्री मोदी ने श्रद्धालुओं से समाज में एकता और भेदभाव रहित भावना को बढ़ावा देने की अपील की।
- उन्होंने कहा कि महाकुंभ गंगा की अविरल धारा की तरह अनेकता में एकता का प्रतीक है।
- इस महाकुंभ का संदेश देशवासियों को आपसी भाईचारा और सामाजिक समरसता बनाए रखने का होना चाहिए।
महाकुंभ की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विशेषता:
- अद्वितीय विविधता:
- महाकुंभ में लाखों श्रद्धालु, साधु-संत, और विभिन्न संप्रदायों के लोग एकत्रित होते हैं।
- यह आयोजन भारत की सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक है।
- आध्यात्मिक महत्व:
- गंगा, यमुना, और अदृश्य सरस्वती के संगम पर आयोजित कुंभ को पवित्र माना जाता है।
- इस अवसर पर स्नान को पापों से मुक्ति और आध्यात्मिक उत्थान का साधन माना जाता है।
- वैश्विक आकर्षण:
- प्रयागराज महाकुंभ में न केवल भारत बल्कि दुनिया भर के श्रद्धालु शामिल होते हैं।
- यह आयोजन भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करता है।
महाकुंभ 2025 में AI के उपयोग का महत्व:
- तकनीकी विकास और परंपरा का संगम:
- AI का उपयोग महाकुंभ को एक स्मार्ट आयोजन बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
- यह दर्शाता है कि भारत अपनी सांस्कृतिक धरोहर को आधुनिक तकनीक के साथ कैसे जोड़ रहा है।
- भीड़ प्रबंधन और सुविधा:
- लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में कुंभ के सुचारू संचालन के लिए AI आधारित समाधान महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
- सुलभता और समावेशिता:
- विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध चैटबोट और डिजिटल सेवाएँ इसे सभी वर्गों और क्षेत्रों के लोगों के लिए अधिक सुलभ बनाएंगी।
महाकुंभ का संदेश, एक हो पूरा देश। #MannKiBaat pic.twitter.com/cLM1cBsV68
— Narendra Modi (@narendramodi) December 29, 2024
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी ‘मन की बात’ कार्यक्रम में WAVES समिट 2025 के आयोजन की घोषणा की और इसे भारतीय क्रिएटर्स और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के लिए एक ऐतिहासिक अवसर बताया। यह समिट भारत में मीडिया, ऑडियो, और विजुअल एंटरटेनमेंट स्पेस (WAVES) के वैश्विक कलाकारों और विशेषज्ञों को एक मंच पर लाएगा।
WAVES समिट 2025 की मुख्य बातें:
- वैश्विक भागीदारी:
- दुनिया भर से मीडिया, ऑडियो, और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के दिग्गज इसमें शामिल होंगे।
- अंतरराष्ट्रीय फिल्म निर्माताओं, संगीतकारों, पेंटरों, और डिजिटल क्रिएटर्स का भारत में स्वागत होगा।
- भारतीय क्रिएटर इकॉनमी का मंच:
- प्रधानमंत्री मोदी ने इस आयोजन को भारतीय क्रिएटर्स के लिए बड़ा अवसर बताया।
- यह समिट भारतीय कलाकारों को अपने वैश्विक समकक्षों के साथ नेटवर्किंग और सहयोग का अवसर प्रदान करेगा।
- क्रिएटर इकॉनमी में भारत की प्रगति:
- पीएम मोदी ने भारत में क्रिएटर इकॉनमी की तेजी से बढ़ती भूमिका पर प्रकाश डाला।
- एंटरटेनमेंट और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में नवाचार और युवा ऊर्जा को उन्होंने अर्थव्यवस्था के लिए प्रेरक शक्ति करार दिया।
- भारतीय कला और संस्कृति का प्रचार:
- समिट में भारतीय फिल्म, संगीत, और दृश्य-श्रव्य माध्यमों की विशेषताओं और विविधता को प्रदर्शित किया जाएगा।
- मिस्र जैसे देशों में बनी भारतीय पेंटिंग्स का उल्लेख करते हुए उन्होंने वैश्विक कला मंच पर भारतीय प्रभाव को रेखांकित किया।
प्रधानमंत्री की अपील:
- प्रधानमंत्री ने एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से जुड़े लोगों, कलाकारों, और युवाओं से WAVES समिट में सक्रिय रूप से भाग लेने की अपील की।
- उन्होंने इसे वैश्विक मान्यता प्राप्त करने और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का एक अद्भुत अवसर बताया।
WAVES समिट का महत्व:
- वैश्विक मंच:
- भारत को क्रिएटिव और मीडिया हब के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा।
- भारतीय कलाकारों और निर्माताओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा और पहचान मिलेगी।
- सांस्कृतिक समृद्धि:
- यह आयोजन भारतीय कला, संगीत, और फिल्मों की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करेगा।
- यह विश्व संस्कृति के साथ भारतीय परंपराओं के आदान-प्रदान का मार्ग प्रशस्त करेगा।
- नवाचार और प्रौद्योगिकी:
- WAVES समिट डिजिटल मीडिया, वर्चुअल रियलिटी (VR), और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसे क्षेत्रों में उभरते ट्रेंड्स पर चर्चा का केंद्र बनेगा।
भारतीय कला और मिस्र का कनेक्शन:
- पीएम मोदी ने मिस्र में बनाई गई भारतीय पेंटिंग्स का उल्लेख कर भारतीय कला की वैश्विक पहुंच और प्रभाव की सराहना की।
- यह भारतीय कला के प्रति अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बढ़ते आकर्षण का प्रमाण है।
विदेश में भारतीय संस्कृति का बढ़ रहा प्रभाव
पीएम मोदी ने इस बीच बताया कि कैसे भारत से निकल आयुर्वेद लैटिन अमेरिका के देश पराग्वे में बढ़ रहा है। उन्होंने बताया, “दक्षिण अमेरिका का एक देश है पराग्वे। वहाँ रहने वाले भारतीयों की संख्या एक हजार से ज्यादा नहीं होगी। पराग्वे में एक अद्भुत प्रयास हो रहा है। वहाँ भारतीय दूतावास में एरीका ह्युबर मुफ्त आयुर्वेद कंसल्टेशन देती हैं। आयुर्वेद की सलाह लेने के लिए आज उनके पास स्थानीय लोग भी बड़ी संख्या में पहुँच रहे हैं।”
पीएम मोदी ने इसके अलावा तमिल के प्रसार को लेकर बात की। पीएम मोदी ने बताया, “ये हमारे लिए बहुत गर्व की बात है कि दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल है और हर हिन्दुस्तानी को इसका गर्व है। दुनियाभर के देशों में इसे सीखने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पिछले महीने के आखिर में फ़िजी में भारत सरकार के सहयोग से तमिल शिक्षण प्रोग्राम शुरू हुआ। बीते 80 वर्षों में यह पहला अवसर है, जब फ़िजी में तमिल के शिक्षक इस भाषा को सिखा रहे हैं।”
बस्तर ओलम्पिक खेल और विकास का संगम
पीएम मोदी ने हाल ही में छत्तीसगढ़ के बस्तर में आयोजित किए गए खेल आयोजन ‘बस्तर ओलम्पिक’ की प्रशंसा भी की। उन्होंने बताया इस आयोजन में 7 लाख 65 हजार खिलाड़ी शामिल हुए। पीएम मोदी ने यहाँ कारी देवी की कहानी बताई। पीएम मोदी ने कहा, “एक छोटे से गांव से आने वाली कारी जी ने तीरंदाजी में रजत पदक जीता है। वे कहती हैं , बस्तर ओलम्पिक ने हमें सिर्फ खेल का मैदान ही नहीं, जीवन में आगे बढ़ने का अवसर दिया है।” पीएम मोदी ने कहा कि बस्तर ओलम्पिक खेल और विकास का संगम है।
स्वास्थ्य क्षेत्र में आगे बढ़ रहा भारत
भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र को लेकर हाल के कुछ दिनों में हुई प्रगति का भी पीएम मोदी ने ब्यौरा दिया। पीएम मोदी ने बताया कि 2015 से 2023 के बीच मलेरिया से होने वाली मौतों में देश में 80% की कमी आई है। पीएम मोदी ने देश के अलग-अलग हिस्सों में मलेरिया में कमी लाने के लिए उपयोग किए गए तरीकों पर भी बात की। उन्होंने हरियाणा के कुरुक्षेत्र और असम के चाय बागानों का उदाहरण दिया। इसके अलावा उन्होंने आयुष्मान योजना से कैंसर के इलाज में हो रही बढ़ोतरी की जानकारी भी दी।
पीएम मोदी ने बताया, “दुनिया के मशहूर मेडिकल जर्नल लैंसेट की स्टडी वाकई बहुत उम्मीद बढ़ाने वाली है। इस जर्नल के मुताबिक अब भारत में समय पर कैंसर का इलाज शुरू होने की संभावना काफी बढ़ गई है। समय पर इलाज का मतलब है – कैंसर मरीज का ट्रीटमेंट 30 दिनों के भीतर ही शुरू हो जाना और इसमें बड़ी भूमिका निभाई है, आयुष्मान भारत योजना ने।”
मुझे इस बारे में जानकर बहुत संतोष हुआ है कि बीते कुछ वर्षों में देश में समय पर कैंसर का इलाज करवाने वाले मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इसमें आयुष्मान भारत योजना एक बड़ा संबल बनी है। #MannKiBaat pic.twitter.com/WnSsIKMu4V
— Narendra Modi (@narendramodi) December 29, 2024
10 किसानों से शुरू हुआ FPO, अब करोड़ों का कारोबार
पीएम मोदी ने एक ऐसे किसान उत्पादक संघ के विषय में भी बताया, जो 10 किसानों से शुरू होकर अब करोड़ों का कारोबार कर रहा है। पीएम मोदी ने बताया, “कालाहांडी का गोलामुंडा ब्लॉक एक वेजेताब्ल हब बन गया है। यह परिवर्तन कैसे आया? इसकी शुरुआत सिर्फ 10 किसानों के एक छोटे से समूह से हुई। इस समूह ने मिलकर एक FPO – ‘किसान उत्पाद संघ’ की स्थापना की, खेती में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया, और आज उनका ये FPO करोड़ों का कारोबार कर रहा है।”