प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता सातवें आसमान पर है। वह एक बार फिर दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता चुने गए हैं। ‘मॉर्निंग कंसल्ट’ द्वारा जारी ताजा सर्वे के अनुसार, पीएम मोदी को 78 फीसदी ग्लोबल लीडर अप्रूवल रेटिंग मिली है। इस तरह वह दुनिया भर के 22 देशों के नेताओं को पीछे छोड़ते हुए इस लिस्ट में टॉप पर हैं।
रिसर्च कंपनी ‘मॉर्निंग कंसल्ट’ ने यह रेटिंग रिपोर्ट 10 मई से लेकर 16 मई 2023 के बीच सर्वे कर जारी की है। इस लिस्ट में जहाँ एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले नंबर पर हैं। वहीं, दूसरे नंबर पर स्विट्जरलैंड के राष्ट्रपति एलेन बर्सेट हैं। उन्हें 62% अप्रूवल रेटिंग मिली। इस सूची में तीसरे नंबर पर मेक्सिको के राष्ट्रपति एंड्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर हैं। उन्हें भी 62% अप्रूवल रेटिंग पॉइंट मिले। हालाँकि, उन्हें नकारने वालों की संख्या अधिक रही।
Global Leader Approval: *Among all adults
Modi: 78%
López Obrador: 62%
Albanese: 53%
Lula da Silva: 49%
Meloni: 49%
Biden: 42%
Sánchez: 39%
Trudeau: 39%
Scholz: 34%
Sunak: 33%
Macron: 25%
*Updated 05/18/23https://t.co/Z31xNcDhTg pic.twitter.com/EQ7m2FP2yi
— Morning Consult (@MorningConsult) May 19, 2023
ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज 53% रेटिंग के साथ चौथे और इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी 49% रेटिंग के साथ पाँचवें तथा ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा भी 49% रेटिंग के साथ पाँचवें स्थान पर हैं।
‘मॉर्निग कंसल्ट’ की इस रिपोर्ट में सुपर पॉवर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक तथा फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की रेटिंग चौंकाने वाली रही। एक ओर जहाँ जो बाइडेन 42% रेटिंग के साथ 7वें स्थान पर रहे। वहीं, ऋषि सुनक टॉप 10 में भी जगह नहीं बना सके। वह 33% रेटिंग के साथ 13वें स्थान पर रहे। वहीं, इमैनुएल मैक्रों 25% रेटिंग के साथ 20वें स्थान पर रहे।
सर्वे रिपोर्ट तैयार करने के लिए मॉर्निंग कंसल्ट प्रतिदिन 20000 से अधिक लोगों से बातचीत करता है। इस बातचीत में मिले जवाबों के आधार पर ग्लोबल लीडर का डेटा तैयार किया जाता है। इस सर्वे के लिए अमेरिका में 45000 लोगों की राय ली गई है। वहीं अन्य देशों में 500 से 5000 के बीच लोगों से बातचीत की गई है। अलग-अलग देशों में वहाँ की जनसंख्या व अन्य चीजों को देखते हुए अलग-अलग स्तर पर सर्वे होता है। भारत में जिन लोगों से बातचीत की गई वह पढ़ा-लिखा वर्ग था।