प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई स्वामित्व योजना के तहत संपत्ति कार्ड ग्रामीण भारत में भूमि और संपत्ति के स्वामित्व को स्पष्ट करने और डिजिटल रूप से प्रमाणित करने की एक ऐतिहासिक पहल है। इस कार्यक्रम के माध्यम से 65 लाख से अधिक संपत्ति कार्ड वितरण ने ग्रामीण भारत के विकास में एक नई दिशा दी है।
संपत्ति कार्ड क्या है?
- संपत्ति कार्ड, स्वामित्व योजना के तहत एक डिजिटल और कानूनी दस्तावेज है।
- यह ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन और मकान के मालिकाना हक का प्रमाण प्रदान करता है।
- यह दस्तावेज न केवल स्वामित्व की पुष्टि करता है, बल्कि भूमि विवादों को कम करने और संपत्ति की वैल्यू बढ़ाने में मदद करता है।
संपत्ति कार्ड कैसे तैयार होते हैं?
- ड्रोन सर्वे और GIS तकनीक का उपयोग करके गांवों में जमीन का डिजिटल मानचित्रण किया जाता है।
- हर जमीन और संपत्ति का सीमा निर्धारण और रिकॉर्ड तैयार किया जाता है।
- संबंधित संपत्ति के मालिक को डिजिटल और कानूनी तौर पर मान्यता प्राप्त संपत्ति कार्ड जारी किया जाता है।
संपत्ति कार्ड के फायदे
- स्वामित्व की स्पष्टता:
- संपत्ति कार्ड से भूमि और मकान का स्वामित्व स्पष्ट होता है।
- यह दस्तावेज भूमि विवादों को कम करता है और कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है।
- कृषकों का सशक्तिकरण:
- संपत्ति के स्वामित्व के साथ किसान आसानी से बैंकों से लोन ले सकते हैं।
- यह दस्तावेज वित्तीय स्वतंत्रता और सुरक्षा प्रदान करता है।
- आर्थिक और सामाजिक लाभ:
- ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति के डिजिटल रिकॉर्ड से उनकी बाजार मूल्य में वृद्धि होती है।
- संपत्ति कार्ड धारकों को सरकारी योजनाओं और लाभों तक आसानी से पहुंच मिलती है।
- तकनीकी और पारदर्शी प्रक्रिया:
- ड्रोन सर्वेक्षण और GIS तकनीक के उपयोग से मानचित्रण और रिकॉर्डिंग की प्रक्रिया पारदर्शी बनती है।
- इससे जमीन की सटीक सीमाओं और स्वामित्व का निर्धारण सुनिश्चित होता है।
कार्यक्रम का महत्व
प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम में कहा कि जमीन और मकान देश के विकास में बड़ी भूमिका निभाते हैं। जब संपत्ति का रिकॉर्ड स्पष्ट होता है, तो नागरिकों में आत्मविश्वास बढ़ता है।
- 1.25 करोड़ से अधिक संपत्ति कार्ड तैयार हो चुके हैं, जिससे लाखों ग्रामीण नागरिकों को उनके अधिकार दिए गए हैं।
- यह पहल ग्रामीण भारत के नागरिकों को सुरक्षा, सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता प्रदान करने में मदद कर रही है।
स्वामित्व योजना और संपत्ति कार्ड के माध्यम से ग्रामीण भारत में भूमि और संपत्ति स्वामित्व को सुनिश्चित करना एक सतत विकास की ओर कदम है। यह योजना न केवल आर्थिक लाभ प्रदान करती है, बल्कि ग्रामीण भारत के सामाजिक ताने-बाने को भी सशक्त बनाती है। डिजिटलीकरण और पारदर्शिता से ग्रामीण क्षेत्रों में विकास और आत्मनिर्भरता का नया युग शुरू हुआ है।