प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व वन्यजीव दिवस 2025 के अवसर पर गुजरात के सासन गिर में वन्यजीव संरक्षण के महत्व को रेखांकित किया। गिर राष्ट्रीय उद्यान, जो एशियाई शेरों का एकमात्र प्राकृतिक आवास है, भारत और दुनिया भर के वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक प्रमुख आकर्षण बना हुआ है।
Gujarat: PM Modi goes on Lion Safari at Gir National Park on World Wildlife Day
Read @ani Story | https://t.co/f6u9duEQzO#PMModi #Worldwildlifeday #Girnationalpark pic.twitter.com/z2dFc1VtyH
— ANI Digital (@ani_digital) March 3, 2025
गिर राष्ट्रीय उद्यान की खासियत
- एशियाई शेरों का एकमात्र प्राकृतिक आवास: दुनिया में केवल यहीं पर 600 से अधिक एशियाई शेर जंगलों में विचरण करते हैं।
- वन्यजीव विविधता: तेंदुआ, चीतल, सांभर, लोमड़ी, लकड़बग्घा, मगरमच्छ और कई अन्य प्रजातियां यहां पाई जाती हैं।
- पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग: गिर में 300 से अधिक प्रजातियों के पक्षी देखे जा सकते हैं।
गिर राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुंचें?
- हवाई मार्ग:
- निकटतम हवाई अड्डा राजकोट (160 किमी) और दीव (110 किमी) है।
- रेल मार्ग:
- सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन जूनागढ़ (80 किमी) और वेरावल (70 किमी) हैं।
- सड़क मार्ग:
- गिर राष्ट्रीय उद्यान अहमदाबाद, राजकोट, सूरत और दीव से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
Today, on #WorldWildlifeDay, let’s reiterate our commitment to protect and preserve the incredible biodiversity of our planet. Every species plays a vital role—let’s safeguard their future for generations to come!
We also take pride in India’s contributions towards preserving… pic.twitter.com/qtZdJlXskA
— Narendra Modi (@narendramodi) March 3, 2025
गिर में जंगल सफारी का अनुभव
- जीप सफारी मुख्य आकर्षण है, जिसे ऑनलाइन या ऑफलाइन बुक किया जा सकता है।
- सफारी का समय:
- सुबह: 6:30 बजे से 9:30 बजे तक
- दोपहर: 3:00 बजे से 6:00 बजे तक
गिर यात्रा का सर्वोत्तम समय
- अक्टूबर से मार्च का समय सबसे उपयुक्त है।
- जून से सितंबर के बीच मानसून में पार्क बंद रहता है।
रुकने की सुविधाएं
गिर जंगल के पास कई रिसॉर्ट्स, होटल और सरकारी गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं, जो जंगल सफारी का आनंद लेने वाले पर्यटकों के लिए बेहतरीन ठहरने की सुविधा प्रदान करते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के दौरे से गिर राष्ट्रीय उद्यान को वैश्विक स्तर पर और अधिक पहचान मिलेगी, जिससे वन्यजीव संरक्षण और इको-टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा।