केरल में फसल और राजा महाबली की घर वापसी से जुड़े त्योहार ओणम को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को शुभकामनाएं दीं है।
पीएम मोदी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर ओणम की शुभकामनाएं देते हुए लिखा, ‘सभी को ओणम की शुभकामनाएं! आपके जीवन में अच्छे स्वास्थ्य, अद्वितीय आनंद और अपार समृद्धि की वर्षा हो। पिछले कई वर्षों में, ओणम एक वैश्विक त्योहार बन गया है और यह केरल की जीवंत संस्कृति को खूबसूरती से प्रदर्शित करता है।’
Onam greetings to everyone! May your lives be showered with good health, unparalleled joy and immense prosperity. Over the last many years, Onam has become a global festival and it beautifully showcases the vibrant culture of Kerala.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 29, 2023
राष्ट्रपति मुर्मू ने भी दी शुभकामनाएं
राष्ट्रपति मुर्मू ने भी नागरिकों को ओणम की बधाई दी और कहा, ‘इस शुभ अवसर पर हम अनगिनत उपहारों के लिए प्रकृति मां के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं। मेरी कामना है कि फसल का यह त्योहार सभी के बीच समृद्धि और सद्भाव की भावना लेकर आए।’
Greetings to all fellow citizens and our brothers and sisters in Kerala on Onam! On this auspicious occasion we express our gratitude to Mother nature for the countless bounties. May this harvest festival usher in prosperity and the spirit of harmony among all.
— President of India (@rashtrapatibhvn) August 29, 2023
ओणम का त्योहार कहां मनाया जाता है?
केरल का त्योहार ओणम चिंगम (सिंघम) मास में भगवान वामन की जयन्ती और राजा बलि के स्वागत में हर साल मनाया जाता है। ये त्योहार दस दिनों तक चलता है और इसकी शुरुआत केरल के एक मात्र वामन मन्दिर से होती है।
ओणम में किसकी पूजा की जाती है?
ओणम त्योहार के अवसर में 10 दिनों तक घरों की फूलों ओर रंगोली से सजावट की जाती हैं। इन दिनों भगवान विष्णु और महाबली की पूजा की जाती है। इसके अलावा नई फसल की खुशी में भी इस पर्व को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ओणम त्योहार 10 दिनों तक इसलिए मनाया जाता है क्योंकि राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने आते हैं और उनकी आने की खुशी में हर साल इसे 10 दिनों तक पूरे धूमधाम से मनाया जाता है।
क्या कहता है इतिहास?
पौराणिक कथा के अनुसार, दैत्य राजा महाबली का एक समय केरल में शासन था। देवताओं ने उन्हें पाताल लोक में भेजने के लिए भगवान विष्णु से मदद मांगी थी, लेकिन नीचे जाने से पहले, महाबली ने भगवान विष्णु से हर साल अपनी प्रजा से मिलने का वरदान प्राप्त किया, जिसे ओणम के रूप में मनाया जाता है।