तमिलनाडु के लिए कावेरी नदी से पानी छोड़े जाने का विरोध कर रहे और बेंगलुरु-मैसूर राजमार्ग को अवरुद्ध करने का प्रयास कर रहे 50 से अधिक किसानों को मंगलवार को कर्नाटक पुलिस ने हिरासत में ले लिया।
पुलिस के साथ की बहस
बैलगाड़ियों और ट्रैक्टरों पर सवार किसान इंदुवालु गांव के पास इकट्ठा हुए और सर्विस रोड से राजमार्ग में प्रवेश करने का प्रयास किया। हालांकि, पुलिस ने उन्हें रोका और समझाने की कोशिश की, लेकिन, किसानों की पुलिस कर्मियों से बहस हो गई और उन्होंने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के खिलाफ नारे लगाने शुरू कर दिए।
50 से अधिक किसान गिरफ्तार
पुलिस ने 50 से ज्यादा किसानों को हिरासत में लिया और बसों में भरकर ले गई। प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि राज्य सरकार किसानों के आंदोलन को कुचल रही है। उन्होंने कांग्रेस सरकार की भी आलोचना की और उन्हें किसान विरोधी करार दिया। कृषि संगठनों ने यह भी मांग की है कि हिरासत में लिए गए किसानों को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए और तमिलनाडु को पानी छोड़ना बंद कर दिया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट जाने का किया फैसला
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि कर्नाटक सरकार पहले ही तमिलनाडु के लिए 80,000 क्यूसेक पानी छोड़ चुकी है। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए तमिलनाडु के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त किया, जबकि उनके हिस्से के पानी का निपटारा न्यायाधिकरण द्वारा कर दिया गया है।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि इस घटनाक्रम के बाद कर्नाटक ने ऐसे समय में 11,000 क्यूसेक पानी छोड़ा है, जब राज्य में फसलें पानी के बिना खराब हो रही हैं। किसानों ने आरोप लगाया कि कर्नाटक में केवल 2,000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है।