राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज (मंगलवार) को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में पांचवें राष्ट्रीय जल पुरस्कार-2023 प्रदान किए. राष्ट्रपति ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा घोषित 9 श्रेणियों में 38 विजेताओं को सम्मानित किया. जल प्रबंधन में सर्वश्रेष्ठ राज्य श्रेणी में गुजरात देश में तीसरे स्थान पर रहा.
सर्वश्रेष्ठ राज्य की श्रेणी में पहला पुरस्कार ओडिशा को, उत्तर प्रदेश को दूसरा और गुजरात और पुडुचेरी को संयुक्त रूप से तीसरा स्थान मिला है. प्रत्येक पुरस्कार विजेता को एक प्रशस्ति पत्र और एक ट्रॉफी के साथ-साथ कुछ श्रेणियों में नकद पुरस्कार भी दिए. राष्ट्रपति मुर्मू ने पुरस्कार वितरण समारोह को संबोधित करते हुए इस बात पर जोर दिया कि जल संसाधनों का संरक्षण और संवर्द्धन सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है. हमारी सक्रिय भागीदारी के बिना जल-सुरक्षित भारत का निर्माण संभव नहीं है.
जल जीवन मिशन के तहत, राज्य के 90 प्रतिशत ग्रामीण घरों में 3,500 करोड़ रुपये की लागत से नल कनेक्शन स्थापित किए गए हैं, जिसका लक्ष्य वर्ष 2025 तक सभी घरों में 100 प्रतिशत नल कनेक्शन प्राप्त करना है. अमृत (अटल मिशन फॉर रिजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन) योजना के तहत, 2,000 करोड़ रुपये की लागत से 100 फीसदी शहरी क्षेत्रों में पानी उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है.
गुजरात के हर कोने तक शुद्ध पानी पहुंचाना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है. इस प्रतिबद्धता को नई दिल्ली में आयोजित ‘राष्ट्रीय जल पुरस्कार’ समारोह में मान्यता दी गई, जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उत्कृष्ट राज्य श्रेणी में तीसरा स्थान प्राप्त करने के लिए गुजरात और पुडुचेरी को सम्मानित किया. केंद्रीय जल आयोग द्वारा किए गए मूल्यांकन और जमीनी सत्यापन ने रैंकिंग निर्धारित की, जिसमें ओडिशा ने पहला स्थान और उत्तर प्रदेश ने दूसरा स्थान हासिल किया। गुजरात और पुडुचेरी ने उत्कृष्ट राज्य श्रेणी में तीसरा स्थान हासिल किया. गुजरात सरकार के जल संसाधन विभाग के सचिव पी.सी. व्यास ने नई दिल्ली में आयोजित ‘राष्ट्रीय जल पुरस्कार’ समारोह में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल की उपस्थिति में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से पुरस्कार प्राप्त किया.
राष्ट्रपति का संबोधन
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा, “जल संसाधनों के प्रति सम्यक दृष्टिकोण और कार्यों को बढ़ावा देने की दिशा में राष्ट्रीय जल पुरस्कारों का आयोजन एक सराहनीय कदम है. इस समारोह के सफल आयोजन, तथा जल संरक्षण को बढ़ावा देने हेतु जल संसाधन मंत्रालय द्वारा किए जा रहे कार्यों के लिए, मैं श्री सी. आर. पाटिल जी एवं उनकी पूरी टीम को बधाई देती हूं.”
जल संसाधनों के प्रति सम्यक दृष्टिकोण और कार्यों को बढ़ावा देने की दिशा में राष्ट्रीय जल पुरस्कारों का आयोजन एक सराहनीय कदम है। इस समारोह के सफल आयोजन, तथा जल संरक्षण को बढ़ावा देने हेतु जल संसाधन मंत्रालय द्वारा किए जा रहे कार्यों के लिए, मैं श्री सी. आर. पाटिल जी एवं उनकी पूरी… pic.twitter.com/VibqPPdqHY
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राष्ट्रपति ने कहा, “पानी और मनुष्य के बीच के संबंधों ने मानव इतिहास को दिशा दी है। लेकिन ऐसा भी लगता है कि जल के महत्व को, हम जानबूझ कर भूल जाते हैं. यह सर्वविदित होने के बाद भी कि पृथ्वी पर मीठे पानी के संसाधन सीमित मात्रा में उपलब्ध है, हम जल संरक्षण और प्रबंधन की उपेक्षा कर देते हैं। मानव निर्मित कारणों से ये संसाधन प्रदूषित हो रहे हैं और समाप्त भी हो रहे हैं.”
पानी और मनुष्य के बीच के संबंधों ने मानव इतिहास को दिशा दी है। लेकिन ऐसा भी लगता है कि जल के महत्व को, हम जानबूझ कर भूल जाते हैं। pic.twitter.com/yN618nBaFG
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राष्ट्रपति मुर्मू ने आगे कहा, “प्रत्येक व्यक्ति के लिए पानी एक मूलभूत आवश्यकता होने के साथ उसका बुनियादी मानवाधिकार भी है. स्वच्छ जल की उपलब्धता सुरक्षित किए बिना एक स्वच्छ और समृद्ध समाज का निर्माण नहीं किया जा सकता है. जल संरक्षण और जल संचयन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने कई सराहनीय कदम उठाए हैं. हमें यह याद रखना चाहिए कि जल संसाधनों का संरक्षण एवं संवर्धन हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है. हमारी सक्रिय सहभागिता के बिना Water-Secure India का निर्माण संभव नहीं है। जन-शक्ति के बल पर ही जल-शक्ति का संचयन एवं संरक्षण किया जा सकता है.”
प्रत्येक व्यक्ति के लिए पानी एक मूलभूत आवश्यकता होने के साथ उसका बुनियादी मानवाधिकार भी है। स्वच्छ जल की उपलब्धता सुरक्षित किए बिना एक स्वच्छ और समृद्ध समाज का निर्माण नहीं किया जा सकता है। जल संरक्षण और जल संचयन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने कई सराहनीय कदम उठाए हैं। pic.twitter.com/oq89penbSH
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कुशल जल प्रबंधन के लिए गुजरात द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण कदम
तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, गुजरात ने जल प्रबंधन के क्षेत्र में कई अभिनव और सफल परियोजनाएं शुरू की हैं. ‘सुजलाम-सुफलाम जल अभियान’ के तहत, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 5,000 से अधिक जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन संरचनाएँ लागू की गई हैं. इसके अतिरिक्त, विभिन्न जल संरक्षण कार्यक्रमों में लगभग 800 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है.
President Droupadi Murmu presented the fifth National Water Awards in New Delhi. The President said that a clean and prosperous society cannot be built without ensuring access to clean water.https://t.co/WAJQhHW6c8 pic.twitter.com/y1v8WevTVY
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प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के तहत, गुजरात ने 2.8 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को कवर करने के लिए सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियों का विस्तार किया है, जिससे सिंचाई क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. इस योजना के तहत ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों के लिए विशेष रूप से 500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. पीएमकेएसवाई और मुख्यमंत्री किसान सहाय योजना के तहत की गई पहलों के परिणामस्वरूप पानी के उपयोग में 20 प्रतिशत की कमी आई है, साथ ही पूरे राज्य में कृषि उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.
हमें यह याद रखना चाहिए कि जल संसाधनों का संरक्षण एवं संवर्धन हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। हमारी सक्रिय सहभागिता के बिना Water-Secure India का निर्माण संभव नहीं है। जन-शक्ति के बल पर ही जल-शक्ति का संचयन एवं संरक्षण किया जा सकता है। pic.twitter.com/09ls8PJCIE
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गुजरात सरकार ने जल क्षमता प्रौद्योगिकी और किसान प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए 1,000 करोड़ का महत्वपूर्ण निवेश किया है. इसके अलावा, राज्य के नेतृत्व वाली पहल के तहत, लगभग 1,200 गांवों में जल उपयोगकर्ता संघों की स्थापना की गई है, जिस पर 200 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, जिसका उद्देश्य कुशल जल उपयोग और प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देना है।
‘जल जीवन मिशन’ के हिस्से के रूप में, गुजरात ने 3,500 करोड़ रुपये के निवेश से नल कनेक्शन सुनिश्चित करते हुए 90 प्रतिशत ग्रामीण घरों तक जल आपूर्ति प्रबंधन का विस्तार किया है। राज्य 2025 तक 100% घरेलू नल कनेक्शन प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. इसके अतिरिक्त, ‘अटल मिशन फॉर रिजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन’ (AMRUT) के तहत, शहरी क्षेत्रों में 100% जल आपूर्ति कवरेज प्राप्त करने के लिए 2,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है.
केंद्र और राज्य सरकार की पहल के तहत, भूजल प्रबंधन को बढ़ाने के उद्देश्य से, अत्यधिक दोहन वाले क्षेत्रों में 200 भूजल पुनर्भरण कुओं को विकसित करने के लिए ₹150 करोड़ का पर्याप्त निवेश किया गया है. इसके अतिरिक्त, स्वच्छ भारत मिशन के हिस्से के रूप में, जल शोधन परियोजनाओं के लिए 50 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिससे राज्य भर के 500 से अधिक गांवों में पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है. सरदार सरोवर बांध के माध्यम से पूरे गुजरात में पीने और सिंचाई के लिए नर्मदा नदी का पानी आपूर्ति किया जा रहा है.
इस पहल के हिस्से के रूप में, सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड (SSNNL) की एक सहायक कंपनी गुजरात ग्रीन रिवोल्यूशन कंपनी (GGRC) राज्य भर में किसानों के लिए पानी की सुविधाओं में सुधार के लिए आधुनिक सिंचाई विधियों को लागू कर रही है. जल संसाधन क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में गुजरात देश में अग्रणी बना हुआ है. इन पहलों ने जल संरक्षण, आपूर्ति प्रबंधन और कृषि उत्पादकता में महत्वपूर्ण प्रगति की है. इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, गुजरात राष्ट्रीय जल पुरस्कारों में एक उत्कृष्ट प्रदर्शनकर्ता के रूप में उभरा है, जैसा कि जल संसाधन विभाग की नवीनतम रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है.