बीते दिनों बरेली में लव जिहाद के एक मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट का जो फैसला आया वो अब हर जगह चर्चा में है। कोर्ट ने ‘आनंद’ बनकर हिंदू महिला के साथ रेप और उसे गर्भवती करने वाले मोहम्मद आलिम को सजा सुनाते हुए देश में चल रहे धर्मांतरण के खेल से लेकर विदेशी साजिश तक पर कई महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ की।
कोर्ट ने माना कि केस की सुनवाई और सारे गवाहों की दलील के बाद साफ है कि मोहम्मद आलिम का प्रकरण लव जिहाद के माध्यम से अवैध धर्मांतरण का मामला है। इसके बाद कोर्ट के आदेश में लव जिहाद की परिभाषा बताते हुए कहा गया.
लव जिहाद में मुस्लिम पुरूष हिंदू महिलाओं को निशाना बनाते हैं। वो पहले उनसे प्यार का दिखावा करते हैं, उनसे धोखे से शादी करते हैं, फिर धर्मांतरण का दबाव बनाते हैं… जैसा कि मोहम्मद आलिम ने किया।
कोर्ट ने कहा- लव जिहाद का उद्देश्य हिंदुस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय साजिश है जिसमें एक मजहब के अराजक तत्व जनसांख्यिकी युद्ध के जरिए वर्चस्व स्थापित करना चाहते हैं।
आसान शब्दों में कहें तो लव जिहाद मुस्लिम पुरुषों पर गैर मुस्लिम समुदायों से जुड़ी महिलाओं को इस्लाम धर्म में परिवर्तित करना है। इस दौरान प्रेम का ढोंग करके उन्हें फँसाया जाता हैं।
अदालत ने कहा कि लव जिहाद के लिए बड़ी मात्रा में पैसा चाहिए होता है इसलिए लव जिहाद में विदेशी फंडिंग से इंकार भी नहीं हो सकता।
कोर्ट ने कहा जबरदस्ती, लालच देकर या झूठ बोलकर धर्मांतरण कराने का अधिकार किसी को नहीं दिया जा सकता। चाहे किसी भी धर्म का व्यक्ति हो, उसे अवैध-धर्मांतरण का अधिकार प्राप्त नहीं है।
यदि बलपूर्वक, झूठ बोलकर, धोखाधड़ी करके या जबरदस्ती या लालच देकर किसी को अवैध रूप से धर्मांतरित करवाया जाता है, तो निश्चित रूप से उत्तर-प्रदेश विधि विरूद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 के तहत कार्यवाही की जानी चाहिए, चाहे वह व्यक्ति कोई भी क्यों न हो।
लव जिहाद के माध्यम से अवैध धर्मांतरण किसी अन्य बड़े उद्देश्यों की पूर्ति हेतु कराया जाता है। यदि समय रहते भारत सरकार के द्वारा लव जिहाद के माध्यम से अवैध धर्मांतरण पर रोक नहीं लगाई गई तो भविष्य में इसके गंभीर परिणाम देश को भुगतने होंगे।
भारत में पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे हालात पैदा करने के लिए हिंदू लड़कियों को प्रेम में फँसाकर उनका अवैध धर्मांतरण करने का अपराध एक विरोधी गिरोह द्वारा बड़े पैमाने पर कराया जा रहा है।
कोर्ट के आदेश में कहा गया कि गैर मुस्लिमों के कमजोर वर्ग के लोगों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा ओबीसी आदि समुदाय के लोगों, महिलाओं व बच्चों को निशाना बनाया जाता है। उनका ब्रेन वॉश करके तथा उनके धर्म की बुराई करके, देवी-देवताओं के संबंध में अपमानजनक टिप्पणी करके तथा मनोवैज्ञानिक दबाव डालकर व विभिन्न प्रकार के लालच जैसे विवाह, नौकरी आदि का प्रलोभन देकर उनका अवैध धर्मान्तरण कराया जा रहा है।
कोर्ट ने कहा कि अवैध धर्मांतरण के प्रकरण को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। अवैध धर्मांतरण देश की एकता, अखंडता एवं संप्रभुता के लिए खतरा है। भारत का संविधान भले ही सभी लोगों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार एवं संरक्षण देता है लेकिन अगर इसकी आड़ में दूसरे धर्मों के अस्तित्व को लालच देकर, असमायक दबाव या अन्य माध्यमों का प्रयोग करके दुष्प्रभावित किया जाएगा तो निश्तिक रूप से अन्य सभी धर्मों के संरक्षण का हनन होगा।