प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2002 में गुजरात में हुए गोधरा कांड और उसके बाद के घटनाक्रम पर खुलकर बात की। उन्होंने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि किस तरह गोधरा की घटनाओं ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया और उन्होंने स्थिति से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाए।
मुख्य बिंदु:
1. विधायक बनने के तुरंत बाद गोधरा कांड:
- पीएम मोदी ने बताया कि वह 24 फरवरी 2002 को पहली बार विधायक बने थे, और 27 फरवरी को गोधरा कांड की घटना हो गई।
- उन्होंने कहा कि घटना के समय वह विधानसभा में थे और जैसे ही खबर मिली, उन्होंने तुरंत गोधरा जाने का फैसला किया।
2. गोधरा जाने की कठिनाई:
- पीएम मोदी ने बताया कि उन्होंने गोधरा जाने के लिए हेलीकॉप्टर मांगा, लेकिन उन्हें बताया गया कि उपलब्ध हेलीकॉप्टर वीआईपी के लिए उपयुक्त नहीं है।
- उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वह “कोई वीआईपी नहीं हैं” और लिखा हुआ बयान दिया कि अगर कोई हादसा होता है, तो वह जिम्मेदारी लेंगे।
- उन्होंने एक सिंगल-इंजन वाले हेलीकॉप्टर से गोधरा पहुंचने का निर्णय लिया।
3. गोधरा की दर्दनाक स्थिति:
- गोधरा पहुंचने पर उन्होंने घटनास्थल की भयावहता को अपनी आंखों से देखा।
- उन्होंने इसे एक “बेहद दर्दनाक अनुभव” बताया और कहा कि वह भी इंसान हैं और यह घटना उन्हें गहराई तक झकझोर गई।
4. घायलों से मिलने की पहल:
- पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने अस्पताल में घायलों से मिलने की प्राथमिकता दी।
- उन्होंने सुरक्षा बलों की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए पुलिस कंट्रोल रूम और अस्पताल जाकर स्थिति का जायजा लिया।
- उन्होंने कहा कि बम ब्लास्ट और दंगों के माहौल में भी वह अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रतिबद्ध थे।
5. गोधरा में जिम्मेदारी का भाव:
- पीएम मोदी ने कहा कि दंगों के दौरान उनके भीतर जिम्मेदारी का गहरा भाव था।
- उन्होंने जो भी संभव हो सकता था, वह किया, ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि गोधरा कांड उनके लिए व्यक्तिगत और प्रशासनिक दोनों स्तरों पर एक गंभीर चुनौती थी। उन्होंने न केवल घटनास्थल पर जाकर स्थिति का जायजा लिया, बल्कि अपनी जिम्मेदारी निभाने में किसी भी प्रकार की सुरक्षा और सुविधा की परवाह नहीं की। यह घटना उनके राजनीतिक जीवन के एक अहम मोड़ के रूप में दर्ज है।