भारत को परमाणु शक्ति बनाने वाले महान वैज्ञानिक डॉ. राजगोपाला चिदंबरम का निधन
भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले वैज्ञानिक डॉ. राजगोपाला चिदंबरम का 4 जनवरी 2025 को मुंबई के जसलोक अस्पताल में निधन हो गया। वह 88 वर्ष के थे। परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) ने उनके निधन की पुष्टि की और उन्हें भारत के वैज्ञानिक और रणनीतिक क्षमताओं को मजबूत करने वाला महान वैज्ञानिक बताया।
डॉ. चिदंबरम का जीवन परिचय
- जन्म: 1936, चेन्नई।
- शिक्षा:
- प्रेसीडेंसी कॉलेज, चेन्नई।
- भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु।
- प्रमुख पद:
- भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) के डायरेक्टर (1990-1993)।
- परमाणु ऊर्जा आयोग (AEC) के अध्यक्ष।
- भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (2001-2018)।
- अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष (1994-1995)।
परमाणु शक्ति में योगदान
- 1974: पहला परमाणु परीक्षण (स्माइलिंग बुद्धा):
चिदंबरम ने भारत के पहले परमाणु परीक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। - 1998: पोखरण-द्वितीय परीक्षण (ऑपरेशन शक्ति):
उन्होंने परमाणु ऊर्जा विभाग की टीम का नेतृत्व किया, जिसने भारत को वैश्विक मंच पर एक मजबूत परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया। - वैज्ञानिक दृष्टिकोण:
उन्होंने परमाणु हथियार कार्यक्रम और ऊर्जा उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने में अहम योगदान दिया।
सम्मान और उपलब्धियाँ
- पद्म श्री (1975)।
- पद्म विभूषण (1999)।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके दूरदर्शी नेतृत्व के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।
शोक संदेश
परमाणु ऊर्जा विभाग ने कहा,
“डॉ. चिदंबरम का योगदान भारत की वैज्ञानिक और रणनीतिक क्षमताओं को मजबूत करने में अतुलनीय है। उनके दूरदर्शी नेतृत्व को देश हमेशा याद रखेगा।”
निधन पर देश की प्रतिक्रिया
डॉ. चिदंबरम के निधन से विज्ञान जगत और देश को अपूरणीय क्षति हुई है। उनका योगदान भारत की स्वदेशी परमाणु शक्ति और रक्षा रणनीति के निर्माण में अद्वितीय रहा।
उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।