नोएडा में नौकरी के नाम पर ठगी करने वाले फर्जी पत्रकार वसीम अहमद की गिरफ्तारी ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि बेरोजगार युवाओं की मजबूरी का कैसे सुनियोजित तरीके से फायदा उठाया जा रहा है।
वसीम अहमद, जो उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले का निवासी है, नोएडा के इकोटेक-3 इलाके में रह रहा था और पिछले छह महीने से नोएडा के सेक्टर-81 में एक फर्जी ऑफिस चला रहा था। वह खुद को ‘पत्रकार’ बताकर और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, विशेषकर यूट्यूब, का सहारा लेकर बेरोजगार युवाओं को शिकार बनाता था। वसीम ने ‘टुडे जॉब्स नोएडा’ नाम से एक यूट्यूब चैनल बना रखा था, जिसके लाखों सब्सक्राइबर थे। इस चैनल पर वह बड़ी कंपनियों जैसे सैमसंग, ओप्पो, वीवो, और एलजी में नौकरी के झूठे विज्ञापन डालता था। इन विज्ञापनों के ज़रिए वह युवाओं को विश्वास में लेकर उनसे रजिस्ट्रेशन फीस और फाइल चार्ज के नाम पर पैसे ऐंठता था।
ठगी की प्रक्रिया सुनियोजित थी। युवाओं को फर्जी इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता और उसके बाद नकली नियुक्ति पत्र थमा दिया जाता था। जब पीड़ित असली कंपनियों से संपर्क करते और कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती, तब उन्हें एहसास होता कि वे ठगे गए हैं। उस वक्त तक वसीम मोबाइल बंद कर गायब हो जाता था। ठग का नेटवर्क इतना संगठित था कि वह ऑफिस में दो महिलाओं को ₹12,000 प्रति माह की तनख्वाह पर काम पर रखे हुए था, जिससे उसका सेटअप असली लगे। इसके अलावा वह अपने ठगी के धंधे में रविंद्र शर्मा, कपिल भाटी, पीयूष भाटी, रोहित कुमार, रोहित चंदेला और राहुल भाटी जैसे हिंदू नामों का इस्तेमाल करता था ताकि लोगों का शक न हो और वे अधिक भरोसा कर सकें।
26 अप्रैल, 2025 को एक पीड़ित युवक योगेंद्र ने सेक्टर-63 थाने में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद पुलिस ने जाँच शुरू की। खुफिया सूचना के आधार पर पुलिस ने 4 मई, 2025 को वसीम को गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से 200 से अधिक विजिटिंग कार्ड, फर्जी नौकरी से जुड़े दस्तावेज, इंटरव्यू फॉर्म, दो मोबाइल फोन और एक कार बरामद की गई है। मामले की जानकारी देते हुए डीसीपी सेंट्रल नोएडा शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि वसीम पहले भी इसी तरह की ठगी के मामलों में सेक्टर-49 और सेक्टर-20 थानों में गिरफ्तार हो चुका है। पुलिस अब उससे गहन पूछताछ कर रही है ताकि उसके नेटवर्क में शामिल अन्य लोगों की पहचान की जा सके और इस ठगी रैकेट की पूरी जड़ तक पहुंचा जा सके।
इस घटना ने न सिर्फ युवाओं के लिए एक चेतावनी का काम किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि डिजिटल माध्यमों पर भरोसा करने से पहले सावधानी बरतना कितना जरूरी है। फर्जीवाड़े के ऐसे मामलों से बचने के लिए युवाओं को ज्यादा सतर्क और जागरूक रहने की आवश्यकता है।