तेजप्रताप के समर्थन में आरजेडी सांसद सुधाकर सिंह: बोले, ‘हिंदुओं में 2-3 शादियां गुनाह नहीं’
स्थान: पटना
तारीख: 2 जून 2025
Edited by: सचिन झा शेखर
पढ़ने का समय: 2 मिनट
पार्टी के भीतर तेजप्रताप को मिला समर्थन
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव के निजी जीवन से जुड़े विवादों के बीच अब पार्टी के भीतर से ही समर्थन की आवाजें उठने लगी हैं। आरजेडी के सांसद सुधाकर सिंह ने तेजप्रताप के पक्ष में खुलकर बयान दिया है और उनके फैसलों को व्यक्तिगत बताते हुए अपराध की श्रेणी से बाहर करार दिया है।
क्या बोले सुधाकर सिंह?
सुधाकर सिंह, जो आरजेडी के वरिष्ठ नेता जगदानंद सिंह के पुत्र हैं, ने मीडिया से बात करते हुए कहा:
“यह पूरी तरह से निजी मामला है। शादी करना गुनाह नहीं है।”
“राममनोहर लोहिया की सप्त क्रांति में भी यह स्पष्ट किया गया है कि जब तक किसी रिश्ते में बलात्कार या धोखा नहीं है, वह वैध माना जाता है।”
“अगर तेजप्रताप जी ने शादी की है, तो उसमें कोई अनैतिकता नहीं है।“
उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू समाज में पहले भी एक से अधिक विवाह की परंपरा रही है, और आज भी कुछ उदाहरण समाज में देखे जाते हैं। उन्होंने चिराग पासवान का हवाला देते हुए कहा कि ऐसी परिस्थितियां समाज में आम रही हैं।
लालू प्रसाद को सलाह: “बेटे के फैसले को स्वीकारें”
सुधाकर सिंह ने लालू यादव से भी अपील की कि वह एक पिता के रूप में तेजप्रताप के फैसले को स्वीकार करें। उन्होंने कहा:
“यह किसी भी तरह से गुनाह की श्रेणी में नहीं आता।“
यह बयान ऐसे समय आया है जब तेजप्रताप यादव के कथित दूसरी शादी और उससे जुड़े विवादों की चर्चा मीडिया में गर्म है। हालांकि तेजप्रताप ने खुद इस विषय में अब तक कोई औपचारिक सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, और सोशल मीडिया से जुड़े कुछ पोस्ट भी हटा दिए हैं।
पृष्ठभूमि और राजनीतिक अर्थ
- सुधाकर सिंह और तेजप्रताप के रिश्ते पहले तनावपूर्ण रहे हैं। ऐसे में यह समर्थन अप्रत्याशित है।
- यह बयान संभवतः तेजप्रताप के पक्ष में आरजेडी के अंदर नया समीकरण तैयार करने की कोशिश हो सकती है।
- तेजस्वी यादव के बढ़ते दबदबे के बीच तेजप्रताप गुट की सक्रियता फिर से उभर रही है।
कानूनी स्थिति क्या कहती है?
- हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के अनुसार, किसी जीवित वैध पत्नी/पति की मौजूदगी में दूसरी शादी करना गैरकानूनी है और इसे द्विविवाह (bigamy) माना जाता है।
- यह भारतीय दंड संहिता की धारा 494 के अंतर्गत दंडनीय अपराध है।
निष्कर्ष:
सुधाकर सिंह का यह बयान केवल तेजप्रताप के समर्थन में नहीं है, बल्कि यह समाज, कानून और राजनीति के बीच की जटिल रेखाओं को उजागर करता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आरजेडी का नेतृत्व और लालू प्रसाद यादव इस मुद्दे पर आगे क्या रुख अपनाते हैं।