अमेरिकी धर्मगुरु रॉबर्ट फ्रांसिस प्रीवोस्त को गुरुवार को नया पोप चुन लिया गया है. वो अमेरिका से पोप बनने वाले पहले कार्डिनल हैं. दो दिनों तक चली चयन प्रक्रिया के बाद प्रीवोस्ट को पोप लियो XIV के रूप में चुना गया है. नए पोप चुने जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी है.
पोप लियो XIV: प्रमुख तथ्य
विषय | विवरण |
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पूरा नाम | रॉबर्ट फ्रांसिस प्रीवोस्ट |
जन्म | 14 सितंबर 1955, शिकागो, अमेरिका |
चयन की तिथि | 8 मई 2025 |
चर्च की भूमिका | पोप (267वें) |
कार्डिनल नियुक्ति | 2023 में कार्डिनल, 2025 में कार्डिनल-बिशप |
पूर्व पोप | पोप फ्रांसिस (निधन: 21 अप्रैल 2025, उम्र 88 वर्ष) |
पहचान | अमेरिका से पोप बनने वाले पहले कार्डिनल |
पोप बनने से पहले की भूमिकाएं
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बिशप के धर्माधिकरण (Dicastery for Bishops) के प्रीफेक्ट।
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लैटिन अमेरिका के लिए पोंटिफिकल कमीशन के अध्यक्ष।
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धर्मशास्त्र, चर्च प्रशासन और समाज सेवा में गहरा अनुभव।
पोप चयन प्रक्रिया की झलक
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स्थान: वेटिकन सिटी की सिस्टिन चैपल।
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चिमनी से निकला सफेद धुआं: नए पोप के चुनाव की पुष्टि।
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लगभग 70 मिनट बाद, पोप लियो XIV ने सेंट पीटर्स बेसिलिका की बालकनी से दर्शन दिए।
भारत की प्रतिक्रिया
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने X (पूर्व ट्विटर) पर बधाई दी:
“भारत के लोगों की ओर से परम पावन पोप लियो XIV को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। उनका नेतृत्व शांति, एकजुटता और सेवा के मूल्यों को आगे बढ़ाएगा। भारत होली सी (Holy See) के साथ निरंतर संवाद और सहयोग के लिए प्रतिबद्ध है।”
I convey sincere felicitations and best wishes from the people of India to His Holiness Pope Leo XIV. His leadership of the Catholic Church comes at a moment of profound significance in advancing the ideals of peace, harmony, solidarity and service. India remains committed to…
— Narendra Modi (@narendramodi) May 9, 2025
महत्व और संभावित प्रभाव
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अमेरिकी प्रभाव:
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पहली बार अमेरिका से किसी कार्डिनल का पोप बनना वेटिकन और अमेरिका के संबंधों को एक नई दिशा दे सकता है।
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भारत-वेटिकन संबंध:
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भारत में ईसाई समुदाय, विशेषकर कैथोलिकों को यह चुनाव उम्मीदों से भर सकता है।
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भारत और होली सी के रिश्तों को नया आयाम मिलने की संभावना।
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आधुनिक युग में चर्च का नेतृत्व:
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रॉबर्ट प्रीवोस्ट का प्रशासनिक अनुभव और लैटिन अमेरिका से जुड़ाव उन्हें वैश्विक दक्षिण की चुनौतियों से परिचित बनाता है।
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आतंरिक सुधार और समावेशी दृष्टिकोण:
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संभव है कि वह चर्च के अंदर महिलाओं की भूमिका, समलैंगिक समुदाय के अधिकार, पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों पर अधिक समावेशी रुख अपनाएं।
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ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
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पोप लियो नाम: इससे पहले पोप लियो XIII (1878–1903) चर्च के सबसे प्रभावशाली पोपों में से एक थे। प्रीवोस्ट द्वारा “लियो XIV” नाम चुनना एक परंपरा और सामाजिक सुधार के मिश्रण की ओर इशारा करता है।
रॉबर्ट प्रीवोस्ट का पोप चुना जाना कैथोलिक चर्च की वैश्विकता, विविधता और आधुनिकीकरण की दिशा में एक बड़ा संकेत है। भारत जैसे विविधतापूर्ण देश के लिए, यह एक नया मौका भी है — अंतरधार्मिक संवाद, मानवता पर केंद्रित नीतियों और वैश्विक शांति को और गहराई से समझने और बढ़ावा देने का।