भारत के चंद्रयान मिशन पर दुनिया की नजर बनी हुई है। वहीं रूस के लुना 25 पर भी सभी की नजरें हैं। भारत के साथ ही रूस भी चंद्रमा के मिशन पर है। अहम बात यह है कि रूस का लुना 25 भारत के चंद्रयान 3 से दो दिन पहले ही चांद पर उतर जाएगा। रूस का यान भी भारत के यान की तरह चांद के दक्षिणी हिस्से पर ही लैंडिंग करेगा। इस तरह रूस चांद पर हमारा पड़ोसी होगा।
लूना-25 को लेकर रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने कहा है कि बुधवार को रूस का लूनर अंतरिक्ष यान चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया है। लूना-25 करीब पांच दिनों तक चंद्रमा का चक्कर लगाएगा। फिर 21 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए अपना रास्ता बदलेगा। वहीं भारत का चंद्रयान-3 दो दिन बाद यानी 23 अगस्त को दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।
भारत के यान के बाद में चला था रूसी यान
चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था। वह इसी महीने शुरुआत में चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा है। जबकि रूस ने 11 अगस्त को लूना 25 लॉन्च किया, मगर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग के लिए इसने छोटा रास्ता अपनाया है। इस रास्ते के बारे में दुनिया की किसी भी अंतरिक्ष एजेंसी को नहीं मालूम है।
लुना 25 मिशन रूस की रणनीति का हिस्सा
रूसी अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर नजर रखने वाले अनातोली जक का कहना है कि पहले लुना 25 का मिशन रूस यूरोपीय देशों की मदद से पूरा करना चाहता था, लेकिन यूक्रेन से जंग के बीच यूरोपीय देशों ने इस मिशन से हाथ खींच लिए। इस कारण रूस ने अकेले ही अपने दम पर अपने यान लुना 25 को चंद्रमा पर भेजा है। यही कारण है कि लूना-25 सिर्फ एक मिशन नहीं है बल्कि रूसी रणनीति का एक बड़ा हिस्सा है।