राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 99वें स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर नागपुर के रेशमबाग मैदान में वार्षिक विजयादशमी उत्सव में अपने 55 मिनट के उद्बोधन के दौरान सरसंघचालक श्री मोहन राव भागवत ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात की। इनमें पूर्वोत्तर सीमावर्ती राज्य मणिपुर में हिंसा और अस्थिरता, सांस्कृतिक मार्क्सवाद, चुनाव और वैश्विक संघर्षों के समय नागरिकों की जिम्मेदारी और वैश्विक संकट के समाधान में भारत की भूमिका जैसे मुद्दे शामिल थे।
सरसंघचालक ने कहा कि संकटग्रस्त विश्व उम्मीद कर रहा है कि भारत विश्व के सामने आने वाली समकालीन जरूरतों और चुनौतियों को पूरा करने के लिए अपनी मूल्य प्रणाली पर आधारित एक नई दृष्टि के साथ उभरेगा। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए संघ एक मजबूत और एकजुट भारतीय समाज बनाने की दिशा में काम कर रहा है। भारत की पहचान और हिंदू समाज की पहचान को संरक्षित करने की इच्छा स्वाभाविक है। यह भारत की जिम्मेदारी भी है कि वह सभी को सद्भाव के सिद्धांत सिखाए, क्योंकि पूरे विश्व को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है।
जी-20
भारत में जी-20 शिखर सम्मेलन के सफल समापन पर सरसंघचालक श्री मोहन राव भागवत ने कहा, ‘‘भारत के विशिष्ट विचारों और दृष्टिकोण के कारण वसुधैव कुटुंबकम् का हमारा मार्गदर्शक सिद्धांत अब पूरे विश्व के दर्शन में शामिल हो गया है। भारत के प्रयासों की बदौलत जी-20 का अर्थव्यवस्था केंद्रित विचार अब मानव केंद्रित विचार में बदल गया है। जी-20 शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन कर हमारे नेतृत्व ने भारत को वैश्विक मंच पर एक प्रमुख राष्ट्र के रूप में मजबूती से स्थापित करने का सराहनीय कार्य किया है।’’
मणिपुर हिंसा
उन्होंने कहा कि मणिपुर की अस्थिर स्थिति के लिए विदेशी शक्तियां जिम्मेदार हैं। मणिपुर एक सीमावर्ती राज्य है, ‘‘क्षेत्र में इस तरह की आंतरिक कलह और अलगाववाद से किसे फायदा होता है? बाहरी ताकतों को भी फायदा होता है। क्या वहां जो कुछ हुआ, उसमें बाहर के लोग शामिल थे?’’ सरकार इस मुद्दे को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है। केंद्रीय गृहमंत्री तीन दिन तक वहां रुके थे और अन्य केंद्रीय मंत्रियों ने भी 15 दिनों तक वहां डेरा डाला था। इसके बावजूद हिंसा जारी रही, जिससे पता चलता है कि यह साजिश रची जा रही थी।
जब वहां शांति की बहाली दिख रही थी, तब कुछ घटना घटी और एक बार फिर हिंसा हुई, जिससे समुदायों के बीच दूरियां बढ़ गईं। हिंसा को कौन भड़का रहा है? यह हो नहीं रहा है, बल्कि कराया जा रहा है। कौन सी विदेशी ताकतें मणिपुर में अशांति और अस्थिरता का फायदा उठाने में रुचि रखती हैं? क्या इन घटनाओं में दक्षिण पूर्व एशिया की भू-राजनीति की भी कोई भूमिका है?
सरसंघचालक ने स्वयंसेवकों की प्रशंसा की, जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर हिंसा प्रभावित मणिपुर में शांति बहाल करने, लोगों को राहत प्रदान करने और उनकी आहत भावनाओं को शांत करने के लिए काम किया। उन्होंने कहा, ‘‘हमें उनकी भूमिका पर गर्व है।’’
विधानसभा चुनाव
उन्होंने कहा कि देश पहले ही चुनावी मोड में है। अगले माह 5 राज्यों में विधानसभा का चुनाव हैं। पार्टियां माहौल बिगाड़ने की हद तक जमकर चुनावी प्रचार-प्रसार करने में सक्रिय हैं। पार्टियां भावनाएं भड़काकर वोट हासिल करने की कोशिश करेंगी। लोग इस भावनात्मक प्रचार से प्रभावित न हों और ‘देश की एकता, अखंडता, पहचान और विकास’ को ध्यान में रखते हुए वोट करें। मतदाताओं से सर्वोत्तम चुनने का आग्रह करते हुए सरसंघचालक ने कहा, ‘‘हमने सभी पार्टियों और सरकारों का परीक्षण किया है। अब लोग उपलब्ध सर्वश्रेष्ठ में से चुनेंगे और अपना सर्वश्रेष्ठ विकल्प चुनेंगे। वोट देना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है।’’
सांस्कृतिक मार्क्सवाद
उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक मार्क्सवाद या वोकिज्म का नया विकास भारत विरोधी ताकतों का नया उपकरण है। देश के अंदर और बाहर कुछ लोग नहीं चाहते कि भारत आगे बढ़े। वे संघर्ष पैदा करने, हमारी एकता को नष्ट करने और वैमनस्य के बीज बोने की कोशिश करते हैं। इन तत्वों का अब नया नाम है, सांस्कृतिक मार्क्सवादी या वोक।
वे दुनिया में सभी प्रकार की व्यवस्था, संस्कृति, गरिमा और संयम के विरोधी हैं। इन सांस्कृतिक मार्क्सवादियों पर अराजकता फैलाने और समाज को विभाजित करने के अपने प्रयास में मीडिया तथा शिक्षा जगत पर नियंत्रण लेने की कार्य प्रणाली का उपयोग करने का आरोप है। हमें उनके मंसूबों को हराना होगा और एकजुट और मजबूत रहना होगा। तीन तत्व- मातृभूमि के प्रति समर्पण, पूर्वजों पर गर्व और समान संस्कृति, भाषा, क्षेत्र, धर्म, संप्रदाय, जाति और उप-जाति की सभी विविधताओं को एक साथ जोड़कर हमें एक राष्ट्र बनाते हैं।