शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने शुक्रवार को गुरुवार को पुंछ में हुए हमले की निंदा करते हुए इस घटना की तुलना 2019 में पुलवामा आतंकी हमले से की और केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला. बता दें जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में गुरुवार को हथियारों से लैस आतंकवादियों द्वारा सेना के दो वाहनों पर घात लगाकर किए गए हमले में पांच सैनिकों के शहीद हो गए और दो अन्य के घायल हो गए.
सुरक्षा बलों ने शुक्रवार को इलाके के वन क्षेत्र में व्यापक घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू किया है. एक अधिकारी ने कहा कि इलाके की हवाई निगरानी भी की जा रही है तथा आतंकवादियों का पता लगाने के लिए श्वान दस्ते को भी लगाया गया है.
‘सरकार सो रही है’
पुंछ में हुए आतंकी हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए संजय राउत ने कहा, ‘कल पुंछ में हुआ आतंकी हमला पुलवामा हमले की पुनरावृत्ति है. सरकार सो रही है. क्या आप (बीजेपी) फिर से हमारे जवानों के बलिदान पर राजनीति करना चाहते हैं? 2024 में फिर से वोट मांगना चाहते हैं जैसा आपने 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद किया था? अगर हम पुंछ घटना के बारे में सवाल पूछेंगे तो वे हमें दिल्ली या देश से बाहर निकाल देंगे.’
संजय राउत ने कहा कि उपद्रवियों ने संसद में घुसपैठ की लेकिन सरकार को इसकी कोई जानकारी नहीं थी. उन्होंने कहा, ‘सरकार अनुच्छेद 370 को हटाए जाने का जश्न मना रही है और देखिए क्या हुआ. यह एक गंभीर मुद्दा है. पिछले दो महीनों में जरा देखिए कि कितने सैनिक मारे गए हैं. वे संसद को चलने नहीं देते. अगर हम पुंछ घटना के बारे में सवाल पूछेंगे तो वे हमें दिल्ली या देश से बाहर निकाल देंगे.’
पुलवाम में क्या हुआ था?
बता दें पुलवामा हमला जम्मू-कश्मीर में सबसे घातक आतंकी हमलों में से एक था जिसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 40 जवान शहीद हो गए थे. पुलवामा हमला 14 फरवरी, 2019 को हुआ था. जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमलावर ने पुलवामा जिले में 100 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक ले जा रहे एक वाहन से जवानों की बस में टक्कर मार दी थी. हमले में कई लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए. पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद ने हमले की जिम्मेदारी ली थी.
राममंदिर समारोह का निमंत्रण नहीं मिलने पर
अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के भव्य अभिषेक समारोह के लिए निमंत्रण नहीं मिला है, पार्टी सांसद संजय राउत ने कहा, ‘वे उन लोगों को कभी आमंत्रित नहीं करेंगे जिन्होंने (राम मंदिर के लिए) योगदान दिया है. हमें निमंत्रण नहीं मिला है क्योंकि पूरे आंदोलन में बालासाहेब ठाकरे और शिवसेना की प्रमुख भूमिका थी… हम इस समारोह को राष्ट्रीय त्योहार नहीं बनाना चाहते और न ही इसका राजनीतिकरण करना चाहते हैं. हम वहां रामलला का आशीर्वाद लेने जरूर जाएंगे, लेकिन ये पूरा शो खत्म होने के बाद.’