राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने रविवार को गौ विज्ञान अनुसंधान एवं सामान्य ज्ञान परीक्षा के पोस्टर का विमोचन किया। यह परीक्षा 13 नवंबर, 2024 को आयोजित होगी। क्षेत्र गौ सेवा गतिविधि प्रमुख राजेन्द्र पामेचा ने बताया कि परीक्षा का उद्देश्य गौ माता के प्रति छात्र-छात्राओं में सेवा और सुरक्षा का भाव जगाना है। गौ माता के पंचगव्य का चिकित्सा और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है।
भारतीय गाय का अर्थ जिसके पीठ पर कूबड़ निकली हुई है, जिसे सूर्यकेतु नाड़ी कहते हैं, जिसके माध्यम से सूर्य की किरणें अन्दर जाती हैं। इसलिए दूध और घी में पीलापन आता है जो इम्युनिटी बूस्ट करता है। गाय में गलखम्ब लटका हुआ रहता है। परीक्षा के माध्यम से गौ माता के संरक्षण संवर्धन के लिए गौ उत्पाद पंचगव्य, गौ काष्ट आदि की व्यावसायिक एवं विज्ञान आधारित जानकारी विद्यार्थियों को होनी है। वर्ष 2011 से परीक्षा का आयोजन हुआ और अब तक 8 बार आयोजन हो चुका है।
संघ की गौ सेवा गतिविधि के विभिन्न आयामों के अंतर्गत गौ चिकित्सा, गौ आधारित कृषि एवं छत पर बागवानी, गौ-उर्जा के अंतर्गत गोबर गैस से बिजली बनाना और बैल चालित ट्रेक्टर और जनरेटर को प्रोत्साहित किया जाता है। पंचगव्य से विभिन्न उत्पाद, पंचगव्य से मनुष्य चिकित्सा और उत्पादों गौ घृत बाम, तक्रासव, अमृतधारा आदि के विपणन की संभावना पर समाज में जागरूकता प्रदान की जाती है। समाज में जागरूकता के लिए गौ विज्ञान परीक्षा एवं गौ कथा का आयोजन होता है। गौ संरक्षण-संवर्धन के लिए स्वावलंबी सुरभि ग्राम, गौचर भूमि संरक्षण और गौशालाओं को दिशा एवं संभाल के लिए आयाम है।
राजस्थान में पिछले वर्ष 1236 किसानों ने गौ आधारित कृषि प्रारम्भ की। गोबर द्वारा निर्मित दीपक द्वारा दीपावली मनाना कुल 473550 दीपक का निर्माण हुआ, 13224 गोमय गणपति का निर्माण हुआ एवं 40 स्थानों पर गौ कथा में 23377 बंधु आए। गोपाष्टमी पर गौ माता पूजन में 70874 बंधुओं ने भाग लिया। वर्तमान में 2023 कार्यकर्ता इस काम में जुटे हैं।