“एक थाली, एक थैला” अभियान महाकुंभ 2025 में पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल साबित हुआ है। इस शून्य बजट अभियान ने सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से अपशिष्ट प्रबंधन को नया आयाम दिया, जिसमें 2,241 संगठनों और 7,258 संग्रहण स्थानों का योगदान रहा।
प्रमुख उपलब्धियाँ:
✅ पर्यावरणीय प्रभाव: डिस्पोजेबल कचरे में 80-85% तक कमी आई, जिससे अनुमानित 29,000 टन कचरा कम उत्पन्न हुआ।
✅ आर्थिक बचत: 40-दिवसीय आयोजन में ₹140 करोड़ की बचत, जिसमें सफाई, परिवहन, और डिस्पोजेबल वस्तुओं की लागत शामिल थी।
✅ सांस्कृतिक प्रभाव: इस पहल ने समाज में “बर्तन बैंक” जैसे स्थायी समाधान को बढ़ावा दिया, जिससे सार्वजनिक आयोजनों में प्लास्टिक और अन्य डिस्पोजेबल वस्तुओं की निर्भरता कम हुई।
✅ खाद्य अपशिष्ट में कमी: “उतना ही लो थाली में कि व्यर्थ नहीं जाए नाली में” संदेश से 70% खाद्य अपशिष्ट में कमी आई।
✅ स्थायी उपयोग: स्टील की थालियां, थैले और गिलास वर्षों तक उपयोग किए जाएंगे, जिससे दीर्घकालिक प्रभाव रहेगा।
धार्मिक रसोई के लिए बचत हुई। अखाड़ों, भंडारों और सामुदायिक रसोई के लिए महत्वपूर्ण लागत में बचत हुई। जो अन्यथा डिस्पोजेबल वस्तुओं पर लाखों खर्च करते थे। दीर्घकालिक प्रभाव: आयोजन में वितरित की जाने वाली स्टील की थालियों का उपयोग वर्षों तक किया जाएगा, जिससे अपशिष्ट और लागत में कमी जारी रहेगी। सांस्कृतिक बदलाव भी आया है। इस पहल ने सार्वजनिक आयोजनों के लिए “बर्तन बैंकों” के विचार को प्रोत्साहित किया है, जो समाज में संधारणीय प्रथाओं को बढ़ावा देता है।