सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम के प्रस्तावों को अधिसूचित करने के लिए सरकार से निश्चित समय सीमा को तय करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की राय मांगी है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध याचिका में शीर्ष अदालत के कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित न्यायाधीशों की नियुक्ति को अधिसूचित करने के लिए केंद्र को एक समय सीमा तय करने की मांग की गई थी।
अटॉर्नी जनरल के कार्यालय को सौंपी जाए याचिका की प्रतिः SC
अधिवक्ता हर्ष विभोर सिंघल की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की एक प्रति को भारत के अटॉर्नी जनरल के कार्यालय को सौंपने का निर्देश दिया। इस दौरान पीठ ने कहा कि हम अटॉर्नी जनरल से अदालत की सहायता करने का अनुरोध करते हैं, जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के लिए 8 सितंबर के दिन को निर्धारित की है।
SC कॉलेजियम प्रणाली को चुनौती नहीं देती याचिका
कोर्ट ने कहा कि तत्काल रिट याचिका किसी भी तरह से न्यायाधीशों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम प्रणाली को चुनौती नहीं देती है। बल्कि, यह व्यापक न्यायिक स्वतंत्रता के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम प्रणाली को और एकजुट और मजबूत करने का प्रयास करता है।
याचिका में क्या कहा गया है?
सुप्रीम कोर्ट में दर्ज याचिका में कहा गया है कि एक निश्चित समय के अभाव में SC कॉलेजियम द्वारा प्रस्तावित नामों पर सरकार नियुक्तियों को अधिसूचित करने में मनमाने ढंग से देरी करती है, जिससे न्यायिक स्वतंत्रता पर इसका प्रभाव पड़ता है, संवैधानिक और लोकतांत्रिक आदेश को खतरे में डाला जाता है और अदालत की महिमा और दूरदर्शिता को अपमानित किया जाता है।