मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में ANRF यानी अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की पहली गवर्निंग बोर्ड बैठक की अध्यक्षता की. बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में एक नई शुरुआत है. देश के अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र में बाधाओं की पहचान करने और उन्हें दूर करने की जरूरत है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समस्याएं भले ही ग्लोबल हो सकती हैं लेकिन उनका समाधान भारतीय मानदंडों के मुताबिक किया जा सकता है.
प्रधानमंत्री ने विशेषज्ञों और अधिकारियों से शिक्षण और अनुसंधान संस्थानों के विकास और आधुनिकीकरण की जरूरत पर विमर्श किया. उन्होंने एक डैशबोर्ड विकसित करने की भी बात कही, जहां देश के अनुसंधान और विकास से जुड़ी जानकारी आसानी से मिल सके. प्रधानमंत्री ने अनुसंधान और नवाचार के लिए संसाधनों के उपयोग की वैज्ञानिक निगरानी पर जोर दिया है. उन्होंने कहा कि देश के वैज्ञानिकों को विश्वास होना चाहिए कि उनके प्रयासों के लिए संसाधनों की कोई कमी नहीं होगी.
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी थे मौजूद
इस बैठक में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे. उनके अलावा इस बैठक में सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार अजय कुमार सूद सहित वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया. बैठक के दौरान गवर्निंग बॉडी ने उन विश्वविद्यालयों को जोड़कर हब और स्पोक मोड में एक कार्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया, जहां अनुसंधान शुरुआती चरण में है.
क्या है एएनआरएफ?
शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में इस फाउंडेशन ने खास पहल की है. इसके तहत अनुसंधान और विकास कार्यों को बढ़ावा दिया जाता है. एएनआरएफ की स्थापना राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिश पर की गई थी. इसका उद्देश्य देश के विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, अनुसंधान संस्थानों में रिसर्च और नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देना है. नेशनल रिसर्च फाउंडेशन देश में वैज्ञानिक अनुसंधान को हाई लेवल की रणनीति प्रदान करने के लिए एक शीर्ष निकाय के रूप में कार्य करता है.
इसकी स्थापना 2023 के एएनआरएफ अधिनियम के तहत की गई थी. यह देश में अनुसंधान के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों से निपटने और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में यह अनेक समस्याओं का समाधान करता है. इस पहल के तहत अनुसंधानकर्ताओं को विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की तरफ से सुविधाएं तथा सलाह दी जाती है.