आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा के निलंबन मामले में अब सु्प्रीम कोर्ट ने रुख किया है। SC ने निलंबन मामले पर राज्यसभा सचिवालय को नोटिस भेजा है और उनसे जवाब मांगा है। बता दें कि अदालत ने मामले की सुनवाई 30 अक्टूबर को तय की है और मामले में भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की सहायता मांगी है।
CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान कहा, अदालत को यह जांचने की जरूरत है कि क्या किसी सदस्य को जांच लंबित रहने तक निलंबित किया जा सकता है. आनुपातिकता का मुद्दा ये है कि क्या किसी सदस्य को निलंबित करने के लिए नियम 256 लागू किया जा सकता है. वकील शादान फरासत ने कहा ऐसा करने की कोई शक्ति नहीं है. इसे सत्र से परे नहीं किया जा सकता है. इसे सत्र से आगे बढ़ाने के लिए अंतर्निहित शक्तियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है. यह विशेषाधिकार का उल्लंघन नहीं है .
राघव चड्ढा ने निलंबन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का किया रुख
दरअसल, आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा से अपने निलंबन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. राघव चड्ढा को अगस्त में पांच राज्यसभा सांसदों का नाम चयन समिति में शामिल करने से पहले उनकी सहमति नहीं लेने के आरोप में निलंबित कर दिया गया था. उन पर दिल्ली सेवा विधेयक से संबंधित एक प्रस्ताव में पांच सांसदों के फर्जी हस्ताक्षर करने का आरोप लगाया गया है.
पीयूष गोयल ने पेश किया था निलंबन का प्रस्ताव
आप सांसद को तब तक के लिए निलंबित कर दिया गया है, जब तक उनके खिलाफ मामले की जांच कर रही विशेषाधिकार समिति अपनी रिपोर्ट नहीं सौंप देती. उनके निलंबन का प्रस्ताव भाजपा सांसद पीयूष गोयल ने पेश किया, जिन्होंने चड्ढा की कार्रवाई को अनैतिक बताया. इसी को लेकर राघव चड्ढा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अनिश्चित काल तक निलंबन को चुनौती दी है.
क्या है मामला?
दरअसल, आप सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा से अपने निलंबन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। राघव चड्ढा को 11 अगस्त को राज्यसभा से निलंबित किया गया था। 5 सांसदों ने विशेषाधिकार के उल्लंघन को लेकर राघव के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद उन्हें राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था। आप नेता पर दिल्ली सेवा विधेयक से संबंधित एक प्रस्ताव में पांच सांसदों के फर्जी हस्ताक्षर करने का आरोप लगाया गया है।
चड्ढा को तब तक के लिए निलंबित कर दिया गया है जब तक उनके खिलाफ मामले की जांच कर रही विशेषाधिकार समिति अपनी रिपोर्ट नहीं सौंप देती। निलंबन का प्रस्ताव भाजपा सांसद पीयूष गोयल ने पेश किया, जिन्होंने चड्ढा की कार्रवाई को ‘अनैतिक’ बताया।