हम एंटी मोदी नहीं हैं। हम तो मोदी के प्रशंसक हैं…यह कहना है ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का। उनका कहना है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से हिंदुओं का स्वाभिमान जागा है। पीएम मोदी की प्रशंसा कर रहे शंकराचार्य ने हाल ही में राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर सवाल उठाए थे। उन्होंने अर्धनिर्मित राम मंदिर के उद्घाटन की भी आलोचना की थी।
क्या बोले शंकराचार्य शंकराचार्य
अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने रविवार को अपने बयान में कहा कि, ‘सच्चाई यह है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से हिंदुओं का स्वाभिमान जाग गया है. यह छोटी बात नहीं है. हमने कई बार सार्वजनिक रूप से कहा है, हम मोदी विरोधी नहीं बल्कि मोदी के प्रशंसक हैं. हम उनकी प्रशंसा करते हैं क्योंकि स्वतंत्र भारत में ऐसा कौन सा प्रधान मंत्री है जो इतना बहादुर है, जो हिंदुओं के लिए दृढ़ता से खड़ा है? हम किसी की आलोचना नहीं कर रहे हैं लेकिन वह पहले ऐसे प्रधान मंत्री हैं जो हिंदू भावनाओं का समर्थन करते हैं.’
#WATCH | Shankaracharya Avimukteshwaranand Saraswati says, "The truth is, with Narendra Modi becoming the Prime Minister, Hindus' self-respect has awoken. This is not a small thing. We have said it several times publically, we are not anti-Modi but Modi's admirers. We admire him… pic.twitter.com/pVWXxNhigQ
— ANI (@ANI) January 21, 2024
उन्होंने आगे कहा कि यह सिर्फ एंजेडा है, जो फैलाया जा रहा है कि हम मोदी विरोधी हैं। जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाई गई, तब हमने प्रशंसा की। नागरिकता कानून की प्रशंसा की। समान नागरिक संहिता में अपनी धार्मिक चिंताओं के साथ-साथ हमने योजना का समर्थन किया।
प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन पर उठाए थे सवाल
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि आधे-अधूरे मंदिर में भगवान को स्थापित किया जाना न्यायोचित और धर्म सम्मत नहीं है। उन्होंने कहा था कि वह पीएम मोदी के हितैषी हैं, इसलिए सलाह दे रहे हैं कि शास्त्र सम्मत कार्य करें। उन्होंने कहा कि पूर्व में तत्कालीन परिस्थितियों को देखते हुए बिना मुहूर्त के राम की मूर्ति को सन 1992 में स्थापित किया गया था। लेकिन वर्तमान समय में स्थितियां अनुकूल हैं। ऐसे में उचित मुहूर्त और समय का इंतजार किया जाना चाहिए।
चंपत राय के बयान पर जताई थी नाराजगी
इसके साथ ही उन्होंने राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय सहित सभी पदाधिकारियों के इस्तीफे की भी मांग की.वो चंपत राय के उस बयान से नाराज हैं जिसमें उन्होंने कहा है कि ‘राम मंदिर रामानंद संप्रदाय से जुड़े लोगों का है, शैव और शाक्त का नहीं. अवमुक्तेश्वरानंद कहते हैं कि शंकराचार्य और रामानन्द सम्प्रदाय के धर्मशास्त्र अलग अलग नहीं होते. उन्होंने कहा कि अगर राम मंदिर रामानंद संप्रदाय का है तो उसे सौंप देना चाहिए. चारों पीठों के शंकराचायों को कोई राग द्वेष नहीं है लेकिन शास्त्र सम्मत विधि का पालन किये बिना मूर्ति स्थापित किया जाना सनातनी जनता के लिये उचित नहीं है.शंकराचार्य ने कहा कि निर्मोही अखाड़े को पूजा का अधिकार दिए जाने के साथ ही रामानंद संप्रदाय को मंदिर व्यवस्था की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए.