उत्तर प्रदेश स्थित प्रयागराज महाकुंभ में रविवार को एक धर्म संसद के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को लेकर एक प्रस्ताव पास हुआ है. उनके एक बयान को लेकर कहा गया है कि उस बयान से पीड़ा हुई. सोशल मीडिया साइट इंस्टाग्राम पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती (Shankaracharya Swami Avimukteshwarananda Saraswati) के आधिकारिक हैंडल से एक वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा गया- राहुल गांधी एक महीने के भीतर अपना पक्ष, परमधर्मसंसद् के समक्ष रखें. ऐसा न करने पर, उन्हें हिंदू धर्म से बहिष्कृत करने की घोषणा की जाएगी.
जानकारी के अनुसार धर्म संसद में राहुल गांधी के उस बयान की चर्चा हुई जिसमें कांग्रेस नेता मनुस्मृति को लेकर अपनी बात रख रहे हैं. राहुल गांधी ने ये बयान लोकसभा में हाथरस गैंगरेप की घटना का जिक्र करते हुए दिया था उन्होंने इस घटना को लेकर कहा कि जिसने गैंगरेप किया वो बाहर घूम रहे हैं और लड़की का परिवार अपने घर में बंद है. लड़की का परिवार बाहर नहीं जा सकता है क्योंकि जो अपराधी हैं वो उन्हें डराते-धमकाते हैं.
राहुल गांधी ने आगे कहा कि “ये संविधान में कहा लिखा है कि जो बलात्कार करते हैं वो बाहर घूमें और जिसका रेप हुआ वो घर में रहे. राहुल गांधी ने कहा कि ये आपकी किताब मनुस्मृति में लिखा होगा लेकिन संविधान में नहीं लिखा.”
धर्म संसद में राहुल गांधी के बयान की निंदा
राहुल गांधी के इसी बयान के खिलाफ धर्मासद विकास पाटनी ने निंदा प्रस्ताव रखा. जिस पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि “सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे एक वीडियो क्लिप में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को इस आशय का वक्तव्य कहते दिखाया जा रहा है कि मनुस्मृति बलात्कारियों के संरक्षण देती है. इससे मनुस्मति का पवित्र ग्रंथ मानने वाले करोड़ों आस्थावान लोगों को बड़ी पीड़ा हुई है.
उनकी ओर से धर्मासद विकास पासटनी ने निंदा प्रस्ताव रखा है. परम संसद 1008 राहुल गांधी के इस वक्तव्य की घोर निंदा करती है. तथा अपने आशय को स्पष्ट करने या क्षमा याचना की मांग करती है. एक महीने वो ये भी बताएं कि उन्होंने इस आधार पर हिन्दू धर्म की निंदा करने पर क्यों न हिन्दू धर्म से बहिष्कृत किया जाए. शंकराचार्य ने कहा कि महीने भर के अंदर अगर राहुल गांधी ने अपना पक्ष नहीं रखा तो उनको हिन्दू धर्म से बहिष्कृत कर दिया जाएगा.