राजकोट में वक्फ बोर्ड की संपत्ति के नाम पर हिंदू दुकानदारों की दुकानों पर जबरन कब्जे की घटना ने गुजरात में कानून-व्यवस्था और वक्फ बोर्ड से संबंधित विवादों को उजागर किया है। इस मामले में पुलिस की तत्परता और राज्य सरकार की सख्त कार्रवाई ने एक स्पष्ट संदेश दिया है कि इस तरह की गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
घटना का विवरण:
- कब्जे का प्रयास:
31 दिसंबर 2024 की रात फारूक मुसानी के नेतृत्व में 20-25 लोगों की भीड़ ने राजकोट के पुरानी दानपीठ इलाके में दो दुकानों के ताले तोड़ दिए और सामान सड़क पर फेंक दिया।- दावा: इन दुकानों को वक्फ बोर्ड की संपत्ति बताते हुए खाली करवाने की बात कही गई।
- संदिग्ध आदेश: फारूक ने 19 दिसंबर 2024 का कथित आदेश दिखाकर इसे सही ठहराने की कोशिश की।
- दुकानदारों का पक्ष:
- दुकानदार वीरेंद्रभाई कोटेचा और अन्य ने दावा किया कि ये दुकानें दशकों से पट्टे पर हैं और जमीन PWD विभाग की है, न कि वक्फ बोर्ड की।
- वक्फ बोर्ड के नियमों के अनुसार तीन महीने पहले नोटिस दिया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा कोई नोटिस नहीं दिया गया।
- पुलिस कार्रवाई:
- घटना के बाद, दुकानदारों की शिकायत पर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए फारूक मुसानी और अन्य 7 लोगों को गिरफ्तार किया।
- दुकानों का कब्जा वापस दिलाया गया।
- पुलिस ने वक्फ बोर्ड के आदेश की वैधता की जाँच शुरू की है।
गृह राज्यमंत्री हर्ष सांघवी की प्रतिक्रिया:
- सभी दुकानें फिर से खुल चुकी हैं।
- घटना के दोषियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
- वक्फ बोर्ड के आदेश की वैधता की जाँच की जा रही है।
- सांघवी ने ट्वीट के जरिए मामले की जानकारी साझा करते हुए पुलिस की कार्रवाई का समर्थन किया।
सभी दुकानें खुल गई हैं और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
हम आपकी सहायता के लिए हमेशा तैयार हैं।
हम किसी भी अवैध गतिविधि के कारण लोगों को परेशान नहीं होने देंगे। https://t.co/bfbtpBxhdm pic.twitter.com/9ONIhxYEZW
— Harsh Sanghavi (@sanghaviharsh) January 3, 2025
महत्वपूर्ण बिंदु:
- वक्फ संपत्ति विवाद:
यह मामला वक्फ बोर्ड से संबंधित विवादों की ओर ध्यान आकर्षित करता है। वक्फ संपत्तियों पर अधिकार और उनके उपयोग को लेकर अक्सर विवाद सामने आते हैं। - कानून-व्यवस्था:
पुलिस और प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई करके न केवल दुकानदारों को राहत दी, बल्कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने का संदेश भी दिया। - सरकार की सख्ती:
सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि इस तरह की अवैध गतिविधियों और धार्मिक आधार पर धौंस दिखाने की कोशिशों को सख्ती से रोका जाएगा।
वक्फ की संपत्ति बता दुकानों पर किया था कब्जा
दुकान को खाली कराकर सामान बाहर फेंक दिया गया था जिससे स्थानीय लोगों में काफी नाराजगी थी. इस मामले में पुलिस ने केस दर्ज किया था. यह घटना राजकोट के दानपीठ बाजार में हुई. बताया जा रहा है कि कई दुकानदार लीज पर सालों से अपना व्यापार चला रहे थे लेकिन एक दिन फारुक नाम का व्यक्ति अपने कुछ साथियों के साथ पहुंचा और दुकानों के ताले तोड़कर सामानों को बाहर फेंक दिया. उसने कहा कि यह वक्फ बोर्ड की संपत्ति है.
सड़क पर फेंक दिया गया दुकान से निकालकर सामान
इसकी जानकारी देते हुए खुद फारूक ने बताया था कि वक्फ बोर्ड के आदेश पर कार्रवाई की गई है. हमने आदेश का पालन किया है. दुकान जर्जर हालत में थी जिससे मस्जिद को नुकसान हो रहा था. जिनका दुकान खाली कराया गया था उनमें से एक ने कहा, ”मेरी दुकान का ताला तुड़वा दिया. कहा कि वक्फ का आदेश है. आपका सामान फेंक देंगे. 20-25 लोग आए थे. सड़क पर हमारा सामान पड़ा हुआ है.” इस कार्रवाई के बाद लोगों ने पुलिस बुला और जांच के बाद आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया.
यह घटना प्रशासन और कानून-व्यवस्था के समक्ष नई चुनौतियाँ पेश करती है। वक्फ बोर्ड की संपत्तियों और उनके दावों को लेकर पारदर्शी और सख्त नियमों की आवश्यकता है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके। इस मामले में पुलिस की तेजी और सरकार की तत्परता ने यह सुनिश्चित किया कि पीड़ितों को न्याय मिले और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो।