कुछ दिन पहले कॉन्ग्रेस नेता गुलाम नबी आजद जब कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के आवास पर बैठक के लिए गए तो गाड़ी बदलते हुए उनकी एक तस्वीर वायरल हुई, जिसमें एक रहस्यमयी ढाँचा नजर आ रहा था। कई लोगों ने इसे देख हैरानी जताई कि सोनिया गाँधी के आधिकारिक आवास पर क्या कोई मजार है?
कई रिपोर्टों में बताया गया कि ये मजार ही है जो 10, जनपथ पर स्थित है। हालाँकि, इस संबंध में जानकारी कहीं भी ज्यादा नहीं दी गई। चूँकि आमतौर पर हर मजार, दरगाह, मस्जिद और मदरसा की जानकारी वक्फ बोर्ड पर होती है इसलिए हमने वक्फ से सूचना जुटाने को ही बुद्धिमानी समझी। हम इस प्रक्रिया के साथ कहाँ पहुँचे, आइए बताएँ:
हमने दिल्ली वक्फ बोर्ड से संपर्क किया कि इस मजार का पूरा विवरण क्या है। हमने बोर्ड को मेल भेजा, कॉल की, लेकिन कहीं से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। नतीजन हमें इंटरनेट पर मौजूद जानकारी पर निर्भर होना पड़ा। हम इंटरनेट से वक्फ की साइट पर गए और उस सेक्शन पर सर्च किया जहाँ वक्फ से जुड़ी हर संपत्ति की जानकारी दी गई होती है। इस विकल्प पर आप राज्यवार ढंग से हर जगह वक्फ की संपत्ति का पता लगा सकते हैं। हमने अपने काम के लिए दिल्ली चुना।
हालाँकि साइट के अनुसार, दिल्ली वक्फ बोर्ड के तहत 1045 संपत्तियाँ पंजीकृत हैं लेकिन हम यह सत्यापित नहीं कर सकते हैं कि ये संख्या इतनी ही है या इससे और ज्यादा। हमें नहीं मालूम ये साइट नियमित अपडेट की गई या नहीं।
Congress leader Ghulam Nabi Azad reaches 10, Janpath to meet party president Sonia Gandhi. pic.twitter.com/rtW7EyTekN
— ANI (@ANI) March 18, 2022
जनपथ क्षेत्र नई दिल्ली जिले में आता है। साइट के अनुसार, नई दिल्ली तीन भागों में विभाजित है- कनॉट प्लेट, चाणक्यपुरी और संसद मार्ग। हमने तीनों क्षेत्र खंगाले लेकिन जनपथ पर या 10 जनपथ के नजदीक हमें कोई मजार नहीं मिली। लिस्ट में सिर्फ दरगाह शेख करीमुल्लाह मजार थी।
अब चूँकि हम वक्फ बोर्ड की साइट खंगाल चुके थे, अगला कदम था कि इसके बारे में जानकारी इंटरनेट से जुटाएँ। हमने इस नाम वाली मजार के बारे में इंटरनेट पर जानकारी देखी। खोजने पर डेलीओ की रिपोर्ट मिली और चीजें दिलचस्प होती गईं। दरअसल, 10 जनपथ को इस रिपोर्ट में अनलकी कहा गया था और इसी रिपोर्ट में उस मजार का जिक्र था जो कि पेड़ के नीचे बनी है। रिपोर्ट में इस मजार का और अतीत में हुई तमाम घटनाओं को जोड़कर बताया गया था।
ये जानना उल्लेखनीय है कि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री भी इसी इमारत में रहते थे जो पीएम बनने के बाद यहाँ आए और दो साल बाद उन्हें रूस में मृत पाया गया। आज तक किसी को नहीं पता उनके साथ क्या हुआ, उनका निधन कैसे हुआ, या कथित हत्या के पीछे किसका हाथ था। कहते हैं कि वो दिल का दौरा था लेकिन किसी को नहीं मालूम रिपोर्ट्स में कितनी सच्चाई है।
उनके बाद सोनिया गाँधी और राजीव गाँधी यहाँ आए। 1991 में राजीव गाँधी की LTTE आतंकियों द्वारा हत्या कर दी गई। सोनिया गाँधी अब भी अपने बेटे राहुल के साथ वहाँ रहती हैं। लेकिन वहाँ रहते हुए राहुल गाँधी को अपने आप को साबित करने के लिए कितनी कोशिशें करनी पड़ रही हैं ये हर कोई जानता है। यही हाल है प्रियंका गाँधी का।
दिलचस्प बात है कि साल 2004 में सोनिया गाँधी ने लोकसभा चुनाव जीते और पीएम बनने को तैयार हुईं लेकिन इटली से जुड़ी पृष्ठभूमि के कारण ऐसा नहीं हुआ। कुछ लोग इसे अंधविश्वास कह सकते हैं। लेकिन क्या यह वास्तव में एक अंधविश्वास ही है सबसे पुरानी पार्टी की अध्यक्ष कथित रूप से ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ इमारत में रहते हुए पार्टी को बचाने के लिए संघर्ष करती हैं?
2014 की संडे गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, जब ये इमारत कॉन्ग्रेस का कार्यालय थी तब आपातकाल के समय कई कॉन्ग्रेस सदस्यों को यहाँ के कुछ इलाकों में खून के धब्बे दिखे थे। 10 जनपथ को लेकर ऐसी और अफवाह है। हालाँकि हमें नहीं पता कि इन सबका मजार से कुछ लेना-देना है या नहीं। लेकिन बता दें कि राजीव गाँधी के इस इमारत में आने से पहले यहाँ कॉन्ग्रेस नेता केके तिवारी रहते थे जिनका राजनैतिक करियर भी समय के साथ गिरता गया।
अपनी रिसर्च के दौरान, हमें दिल्ली की मशहूर जगह जैसे लुटियन दिल्ली और दिल्ली एयरपोर्ट से जुड़े कुछ और अंधविश्वासों के बारे में पता चला। यहाँ कुछ का जिक्र कर रहे हैं। पहला 22, शामनाथ मार्ग से जुड़ा है। संडे गार्जियन के अनुसार, यहाँ भाजपा नेता मदन लाल खुराना 3 साल तब रहे जब वो दिल्ली के सीएम थे। 1993 में वे यहाँ आए और 1996 में तब तक रहे जब तक कि हवाला स्कैम आया और इसमें उनका भी नाम था।
बाद में इसी आवास में शीला दीक्षित सरकार के मंत्री दीप चंद बंधू आए और यहाँ रहते हुए उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद ये जगह अशुभ मानी जाने लगी।
अगला अंधविश्वास क़ुतुब कर्नलनेड से जुड़ा है। माना जाता है कि इसे लड़कियों और महिलाओं का श्राप मिला है जिन्हें नवाब और वरिष्ठ अधिकारी अपने लिए अपहरण कर लेते थे। इन लड़कियों को बंदी बनाकर यहाँ प्रताड़िता किया जाता था। जो इस इमारत के आसपास रहते हैं उनका दावा है कि यहाँ से लड़कियों के चीखने की आवाजें आती हैं।
इन सबके अलावा क्या आप जानते हैं कि इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के परिसर में भी एक मजार है? माना जाता है कि दो सूफी संत- हजरत काले खान और हजरत रौशन खान यहाँ सुरक्षित हवाई उड़ानों के लिए हैं। एयरपोर्ट के कई कर्मचारी और एयरलाइन से जुड़े लोग इस मजार पर जाते हैं और मानते हैं कि पीर बाबा उनकी रक्षा करेंगे। ये दोनों संत 14 वीं और 15वीं सदी के माने जाते हैं।
इस दरगाह को रनवे दरगाह भी कहते हैं। ये जनता के लिए हर गुरुवार खुलती है लेकिन बस कुछ घंटों के लिए। एयरपोर्ट प्रशासन एक खास बस का इंतजाम करता है ताकि मजार पर लोग जा सकें।
गौरतलब है कि जब कोई संपत्ति वक्फ के साथ पंजीकृत की जाती है। ये हमेशा वक्फ में जुड़ी होती है। लेकिन 10 जनपथ वाले मामले में ये नहीं मालूम कि ये मजार और उसके आस-पास का एरिया वक्फ में पंजीकृत है या नहीं। इसलिए ये नहीं कह सकते कि सोनिया गाँधी का आवास वक्फ की संपत्ति है या नहीं। या इस पर वक्फ अपना दावा कर सकता है या नहीं।
हाल में, गुजरात वक्फ बोर्ड ने सूरत नगर निगम की इमारत पर अपना दावा बोला था। उनका कहना था कि मुगल काल में सूरत नगर निगम की इमारत सराय थी और इसे हज यात्रा के दौरान इस्तेमाल किया जाता था। इसके बाद ये संपत्ति ब्रिटिश साम्राज्य से जुड़ गई। लेकिन जब 1947 में भारत आजाद हुआ तो संपत्ति भारत सरकार को मिली, लेकिन इसके दस्तावेज अपडेट नहीं हुए। इसके बाद ये बिल्डिंग वक्फ की हो गई और वक्फ तो कहता ही है कि एक बार जो वक्फ का हुआ वो हमेशा वक्फ का रहता है।