सरकार गठन के बाद लोकसभा अध्यक्ष का भी चुनाव संपन्न हो गया है. राजस्थान के ओम बिरला 18वीं लोकसभा के स्पीकर चुने गए हैं. बिरला के चयन के साथ ही देश के डिसिजन मेकिंग के सभी टॉप पोस्ट भर लिए गए हैं. हालांकि, यह पहली बार है जब देश के डिसिजन मेकिंग से दलित, दक्षिण और मुसलमान बाहर हैं.
मौजूद आंकड़ों के मुताबिक, 18वीं लोकसभा के इस शुरुआती कार्यकाल में भारत के डिसिजन मेकिंग के 6 बड़े पदों पर न तो एक भी दलित हैं, न मुस्लिम और न ही दक्षिण भारतीय.
टॉप-6 पद में से 3 पद यूपी, 2 पद राजस्थान और 1 पद ओडिशा के खाते में है. जाति आधारित बात की जाए तो 6 में से 3 ओबीसी, 2 सवर्ण और 1 आदिवासी समुदाय के नेता देश के डिसिजन मेकिंग के हिस्सा हैं.
किस पद पर किसका कब्जा?
राष्ट्रपति- भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं और वे मूल रूप से ओडिशा की रहने वाली हैं. 2022 में वो भारत की राष्ट्रपति बनीं और उनका कार्यकाल 2027 तक है. भारत में राष्ट्रपति का पद संवैधानिक प्रमुख होता है.
उपराष्ट्रपति- मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले जगदीप धनखड़ भारत के उपराष्ट्रपति हैं और वो जाट समुदाय से आते हैं. राजस्थान में जाट ओबीसी कैटेगरी का हिस्सा है. भारत में उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं.
प्रधानमंत्री- भारत के कार्यपालिका प्रमुख नरेंद्र मोदी ओबीसी समुदाय से आते हैं. मूल रूप से गुजरात के रहने वाले मोदी वर्तमान में यूपी के वाराणसी से सांसद भी हैं. मोदी तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बने हैं.
लोकसभा अध्यक्ष- राजस्थान के कोटा से सांसद ओम बिरला लोकसभा के अध्यक्ष चुने गए हैं. बिरला पहले भी लोकसभा के स्पीकर रहे हैं. बिरला भी ओबीसी समुदाय से ही आते हैं.
उपसभापति- बिहार से जेडीयू के सांसद हरिवंश अभी राज्यसभा के उपसभापति हैं. हरिवंश मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं. हरिवंश राजपूत बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं.
लोकसभा में विपक्ष का नेता- कार्यपालिका में ये पद भी काफी प्रभावी माना जाता है. अपॉइंटमेंट्स से जुड़ी कई कमेटियों में लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष शामिल होते हैं. लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद भी इस बार उत्तर भारत में ही चला गया है. रायबरेली से सांसद राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष नियुक्त हुए हैं. वे सवर्ण समुदाय से ताल्लुक रखते हैं.
अब हर लोकसभा का हाल जानिए
1. पहली लोकसभा की स्थिति- 1952 में लोकसभा चुनाव के बाद यूपी के पंडित जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री थे. बिहार मूल के राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रपति और दक्षिण भारत के सर्वपल्ली राधाकृष्णन उपराष्ट्रपति थे. दक्षिण के ही जीवी मावलंकर को लोकसभा का अध्यक्ष बनाया गया था. इतना ही नहीं राज्यसभा के उपसभापति और लोकसभा के उपाध्यक्ष भी दक्षिण भारतीय ही बने.
दिलचस्प बात है कि पहली लोकसभा के सभी बड़े डिसिजन मेकिंग का पद सवर्ण समुदाय से ताल्लुक रखने वाले लोगों के पास ही था.
2. दूसरी लोकसभा की स्थिति- 1957 के चुनाव में पंडित नेहरू फिर से जीतकर प्रधानमंत्री बने. पहली लोकसभा की तुलना में इस बार कुछ पदों पर बदलाव किए गए. इनमें लोकसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष का पद प्रमुख था. दूसरी लोकसभा में एम.ए अयंगर को अध्यक्ष बनाया गया. वे दक्षिण भारत के ब्राह्मण समुदाय से थे. पंजाब के हुकम सिंह उपाध्यक्ष बने. हुकम सिंह अल्पसंख्यक सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रहे थे.
3. तीसरी लोकसभा की स्थिति- 1962 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी फिर से सत्ता में आई. इस बार पंडित नेहरू ने कई बड़े बदलाव किए. दक्षिण भारत के सर्वपल्ली राधाकृष्णन राष्ट्रपति बने. दक्षिण के ही जाकिर हुसैन उपराष्ट्रपति बनाए गए. हुकम सिंह को लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी मिली. उपाध्यक्ष एसवी कृष्णामूर्थी राव बनाए गए. राज्यसभा में उपसभापति की कुर्सी वायलेट अल्वा को मिली.
4. चौथी लोकसभा की स्थिति- 1967 में हुए चुनाव तक कांग्रेस पार्टी के भीतर काफी कुछ बदल चुका था. पार्टी की कमान नेहरू की बजाय उनकी बेटी इंदिरा के पास थी. चौथी लोकसभा का गठन हुआ तो उस वक्त जाकिर हुसैन भारत के राष्ट्रपति थे. ओडिशा के वीवी गिरी उपराष्ट्रपति बने. दक्षिण के नीलम संजीव रेड्डी को लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी मिली. महाराष्ट्र के रघुनाथ खांडिलकर उपाध्यक्ष बनाए गए. हालांकि, सत्ता का यह स्ट्रक्चर 2 साल में ही बदल गया.
1969 में वीवी गिरी राष्ट्रपति बन गए. गोपाल स्वरूप पाठक को उपराष्ट्रपति की कमान मिली. पंजाब के गुरजीत सिंह ढिल्लो लोकसभा के अध्यक्ष बने तो पूर्वोत्तर के जीजी स्वैल को उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई. राज्यसभा में उपसभापति का पद दलित नेता बी.डी. खोबरागड़े को मिला.
5. पांचवी लोकसभा की स्थिति- 1971 के इस चुनाव में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने जबरदस्त प्रदर्शन किया. सरकार गठन हुई तो इंदिरा प्रधानमंत्री बनीं. राष्ट्रपति वीवी गिरी और उपराष्ट्रपति गोपाल स्वरूप पाठक ही थे. लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद पर भी कोई बदलाव नहीं किया गया.
6. छठवीं लोकसभा की स्थिति- 1977 में हुए इस लोकसभा के चुनाव में जनता पार्टी को जबरदस्त जीत मिली. महाराष्ट्र के मोरारजी देसाई सरकार में प्रधानमंत्री बने. देसाई मराठी ब्राह्मण थे. राष्ट्रपति का पद दक्षिण के ब्राह्मण नेता नीलम संजीव रेड्डी को मिला. कर्नाटक के लिंगायत नेता बीडी जत्ती उपराष्ट्रपति बने. लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के.एस हेगड़े को मिली. गोड्डे मुरहरि उपाध्यक्ष बनाए गए. राज्यसभा में डिप्टी चेयरमैन का पद राजस्थान के जाट नेता रामनिवास मिर्धा को मिला.
7. सातवीं लोकसभा की स्थिति- 1980 के चुनाव में कांग्रेस ने वापसी कर ली. इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री चुनी गईं. नीलम संजीव रेड्डी उस वक्त राष्ट्रपति मोहम्मद हिदायतुल्ला उपराष्ट्रपति थे. उत्तर भारत के जाट नेता बलराम जाखड़ लोकसभा के अध्यक्ष बने. डिप्टी स्पीकर का पद दक्षिण के जी लक्ष्मनन को मिला, जबकि यूपी के ओबीसी नेता श्यामलाल यादव राज्यसभा के उपसभापति बनाए गए.
8. आठवीं लोकसभा की स्थिति– 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बंपर जीत मिली. राजीव गांधी प्रधानमंत्री नियुक्त हुए. इस दौरान राष्ट्रपति पंजाब के ज्ञानी जैल सिंह और उपराष्ट्रपति हिदायतुल्लाह थे. राजीव के इसी कार्यकाल में वी.वैंकेटरमन भी उपराष्ट्रपति बने. 8वीं लोकसभा के दौरान बलराम जाखर ही लोकसभा के अध्यक्ष बने. तमिलनाडु के एम थंबीदुरैई उपाध्यक्ष बनाए गए. नजमा हेपतुल्लाह को राज्यसभा में उपसभापति की कुर्सी मिली.
9. नौवीं लोकसभा की स्थिति- 1989 के चुनाव में संयुक्त मोर्चा की सरकार बनी. इस लोकसभा के कार्यकाल में 2 प्रधानमंत्री बने. पहले वीपी सिंह और दूसरे चंद्रशेखर. दोनों ही यूपी के राजपूत समुदाय से ताल्लुक रखते थे. नौवीं लोकसभा के दौरान राष्ट्रपति थे दक्षिण भारत के आर. वैंकेटरमन और उपराष्ट्रपति थे मध्य प्रदेश के शंकर दयाल शर्मा. इस लोकसभा के दौरान राजीव गांधी देश के नेता प्रतिपक्ष नियुक्त हुए थे.
10. दसवीं लोकसभा की स्थिति- 1991 में हुए इस चुनाव में कांग्रेस ने वापसी की. दक्षिण भारत के पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने. मध्य भारत के शंकर दयाल शर्मा को राष्ट्रपति और दलित के.आर नारायण को उपराष्ट्रपति की कुर्सी मिली. महाराष्ट्र के शिवराज पाटील लोकसभा के अध्यक्ष बनाए गए. डिप्टी स्पीकर का पद एस.मल्लिकार्जुनैया और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद लालकृष्ण आडवाणी को मिला.
11. ग्याहरवीं लोकसभा की स्थिति- 1996 के इस चुनाव में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला. लोकसभा के इस कार्यकाल के दौरान 3 प्रधानमंत्री बनाए गए. 1. अटल बिहारी वाजपेयी 2. एचडी देवेगौड़ा और 3. आईके गुजराल.
केआर नारायण इस दौरान भारत के राष्ट्रपति और कृष्ण कांत उपराष्ट्रपति थे. पूर्वोत्तर के आदिवासी नेता पीए संगमा इस लोकसभा के कार्यकाल में अध्यक्ष थे. बीजेपी के सूरजभान को उपाध्यक्ष की कुर्सी मिली थी.
12. बारहवीं लोकसभा की स्थिति- 1998 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को बहुमत मिल गई, जिसके बाद अटल बिहारी वाजपेई प्रधानमंत्री बने. उस वक्त केआर नारायणन राष्ट्रपति थे. एनडीए की सरकार ने दक्षिण के जीएमसी बालयोगी को लोकसभा का स्पीकर बनवाया. उपाध्यक्ष की कुर्सी पीएम सईद को मिली. उस वक्त राज्यसभा में डिप्टी चेयरमैन का पद नजमा हेपतुल्लाह के पास था. मराठा नेता शरद पवार नेता प्रतिपक्ष नियुक्त हुए.
13. तेरहवीं लोकसभा की स्थिति- डेढ़ साल बाद ही हुए लोकसभा चुनाव में फिर से एनडीए ने जीत हासिल की. अटल बिहारी ही गठबंधन की तरफ से प्रधानमंत्री बनाए गए. सरकार गठन के वक्त नेता प्रतिपक्ष को छोड़कर सभी पद पुराने लोगों के पास ही थे. लोकसभा के इस कार्यकाल में सोनिया गांधी नेता प्रतिपक्ष थीं.
14. चौदहवीं लोकसभा की स्थिति- 2004 के हुए चुनाव में कांग्रेस नीत यूपीए को जीत मिली. पंजाब के सरदार मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री बनाए गए. उस वक्त देश के राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम आजाद थे. उपराष्ट्रपति का पद राजस्थान के ठाकुर नेता भैरों सिंह शेखावत के पास था.
सरकार गठन के वक्त बंगाल के सोमनाथ चटर्जी को लोकसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई. पंजाब के ही चरणजीत अटवाल डिप्टी स्पीकर बने. राज्यसभा में उपसभापति का पद के. रहमान खान को सौंपा गया. लालकृष्ण आडवाणी लोकसभा मों नेता प्रतिपक्ष बने थे.
15. पंद्रहवीं लोकसभा की स्थिति- 2009 के चुनाव में भी यूपीए का जलवा बरकरार रहा. मनमोहन सिंह दूसरी बार प्रधानमंत्री बने. सरकार गठन के वक्त राजस्थान की प्रतिभा सिंह राष्ट्रपति और बंगाल के हामिद अंसारी उपराष्ट्रपति थे. सरकार गठन के वक्त बिहार के दलित नेत्री मीरा कुमार को लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी मिली. झारखंड के आदिवासी नेता करिया मुंडा उपाध्यक्ष बनाए गए.
मध्य प्रदेश की सुषमा स्वराज को नेता प्रतिपक्ष का दायित्व मिला.
16. सोलहवीं लोकसभा की स्थिति- 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिला. ओबीसी समुदाय के नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने. उस वक्त बंगाल के प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति थे. वे ब्राह्मण समुदाय से ताल्लुक रखते थे. उपराष्ट्रपति पद पर बंगाल के ही हामिद अंसारी थे. सरकार गठन के वक्त मध्य प्रदेश की सुमित्रा महाजन को स्पीकर की कुर्सी मिली.
वहीं दक्षिण भारत के एम थंबीदुरई लोकसभा के डिप्टी स्पीकर बनाए गए. राज्यसभा के उपसभापति पीजे कुरियन थे.
17. सत्रहवीं लोकसभा की स्थिति- 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी की ही सरकार बनी. दूसरी बार नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने. सरकार गठन के वक्त दलित रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति थे, जबकि दक्षिण के वैंकेया नायडू उपराष्ट्रपति थे. लोकसभा स्पीकर का पद ओबीसी समुदाय के ओम बिरला को मिला.
यह जरूरी क्यों, समझिए
भारत के संविधान में राजनैतिक न्याय का जिक्र है. इसका मतलब है- सार्वजनिक नीतियां निर्धारित करने की प्रक्रिया में सबको प्रत्यक्ष रूप से हिस्सा लेने का अवसर मिले. भारत विविधताओं का भी देश है. भौगोलिक तौर पर यह चार भागों (दक्षिण, पूरब, पश्चिम और उत्तर) में बंटा है.
दक्षिण भारत में देश के 5 बड़े राज्य (आंध्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना और केरल) हैं. दक्षिण में लोकसभा की 130 सीटें हैं. अब 18वीं लोकसभा में ये देखना है कि अगर डिप्टी स्पीकर बनाया जाता है तो वो किस जाति, राज्य से होगा.