स्पाइसजेट को दिल्ली हाई कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है. 15 मई को आए एक फैसले के संबंध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें दिल्ली हाई कोर्ट की दो जजों की बेंच ने 27 मई को उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें कम लागत वाली एयरलाइन स्पाइसजेट को दो विमान और तीन इंजन वापस करने के लिए कहा गया था.
कोर्ट ने कही ये बात
स्पाइसजेट ने अपील वापस लेने और मामले को जज के समक्ष आगे बढ़ाने का फैसला किया. हालांकि, अदालत ने एयरलाइन को विमान और इंजन वापस करने के लिए 28 मई की बजाय 17 जून तक की मोहलत दी, जो पहले तय की गई थी. न्यायमूर्ति राजीव शकधर की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि जब एयरलाइन पर पट्टादाता का 120 करोड़ रुपए से अधिक का बकाया हो तो इस प्रकार का कोई भी आदेश देना अनुचित होगा. बता दें पट्टादाता कम मतलब ये हुआ कि जिस व्यक्ति से आप कोई समान लेकर इस्तेमाल किए हो.
कोर्ट के मुताबिक, स्पाइसजेट को लीज राशि का भुगतान किए बिना विमान और इंजन का उपयोग करने का अधिकार नहीं है. अदालत ने कहा, वे (पट्टादाता) दान के व्यवसाय में नहीं हैं. जब स्पाइसजेट ने विमान और इंजन वापस करने के लिए एक सप्ताह की मोहलत मांगी, तो अदालत ने उससे कहा कि अगर वे इस आदेश को चाहते हैं तो अपील वापस ले लें, इस प्रकार एयरलाइन ने इसे वापस लेने का फैसला किया.
हर हफ्ते देनी होगी इतनी रकम
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील अमित सिब्बल ने दलील दी कि स्पाइसजेट अगले पांच हफ्तों तक हर हफ्ते 500,000 डॉलर (4.15 करोड़) का भुगतान करने को तैयार है. उन्होंने तर्क दिया कि विमान और इंजन वापस करने से एयरलाइन को नुकसान होगा, क्योंकि यह उसके बेड़े का लगभग 10 प्रतिशत है. सिब्बल ने आगे तर्क दिया कि स्पाइसजेट ने अब तक 15 पट्टादाताओं/हितधारकों के साथ अपना विवाद सुलझा लिया है और वे इसे टीडब्ल्यूसी के साथ भी सुलझा लेंगे.
पट्टादाता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन ने तर्क दिया कि स्पाइसजेट ने न केवल पट्टे की बकाया राशि का भुगतान किया है, बल्कि अपने विमान, इंजन से कुछ हिस्सों को हटा दिया है और इसे अपने अन्य विमानों में इस्तेमाल किया है. कृष्णन के अनुसार, डील के तहत इस तरह के कार्य की अनुमति नहीं है.