भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, साइबर जासूसी, और सांस्कृतिक केंद्रों के दुरुपयोग से जुड़े एक बेहद संवेदनशील और जटिल मामले की ओर इशारा करती है। मामला यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा और उसके पाकिस्तान से जुड़े जासूसी नेटवर्क से जुड़ा है — जिसमें वाराणसी (काशी) की भूमिका अब एक “पैटर्न आधारित संदिग्ध गतिविधि” के रूप में सामने आ रही है।
मामले की मुख्य बातें (Case Summary):
कौन है ज्योति मल्होत्रा?
- नाम: ज्योति मल्होत्रा
- यूट्यूब चैनल: Travel with Jo
- फ़ॉलोअर्स:
- यूट्यूब: 3.77 लाख
- इंस्टाग्राम: 1.31 लाख
- निवासी: हिसार, हरियाणा
- पेशे से: ट्रैवल व्लॉगर
- आरोप:
- भारत की सैन्य और संवेदनशील सूचनाएँ पाकिस्तान को देना
- ISI के एजेंटों के संपर्क में रहना
- ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी जानकारियाँ लीक करना
- पाकिस्तान हाई कमीशन, दिल्ली में ISI एजेंट “दानिश” से मिलना
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, गोपनीयता अधिनियम और IPC की धाराओं के तहत मामला दर्ज
काशी से जुड़े रहस्य: जासूसी या सांकेतिक संदेश?
संदिग्ध ट्रैवल पैटर्न:
पाकिस्तान यात्रा | काशी यात्रा | विवरण |
---|---|---|
सितम्बर 2022 | अक्टूबर 2022 | करतारपुर से लौटते ही |
अप्रैल 2023 | जुलाई 2023 | पाकिस्तान के बाद फिर काशी |
दिसम्बर 2023 | दिसम्बर 2023 | PM मोदी की मौजूदगी में वंदे भारत ट्रेन का पायलट केबिन शूट किया |
मार्च 2025 | जनवरी-फरवरी 2025 | पाकिस्तान जाने से पहले फिर वाराणसी में थी |
इस तरह का हर बार पैटर्न दोहराना, सुरक्षा एजेंसियों को संकेत देता है कि काशी का उपयोग किसी जासूसी या सांकेतिक ट्रांज़मिशन के लिए हो सकता है।
NIA की जाँच में क्या देखा जा रहा है?
1. वाराणसी में बनाए गए वीडियो की लोकेशन और फोकस:
- क्या कैमरा बार-बार किसी एक इमारत, टावर, संचार प्रणाली, मंदिर परिसर के पास किसी खास एंगल से रिकॉर्ड कर रहा है?
- क्या कोई ड्रोन फुटेज या ज़ूम इन करके कोई स्थापत्य/सिग्नल संरचना दिखाई गई है?
2. कोडिंग या स्टीगनोग्राफी का इस्तेमाल:
- क्या वीडियो या रील में छिपा हुआ संदेश है?
- क्या साउंडट्रैक या बाइनरी पैटर्न के जरिये कोई डेटा छिपाया गया है?
3. PM की गतिविधियों पर फोकस:
- 19 दिसंबर 2023 को PM मोदी के साथ एक ही ट्रेन में यात्रा करना — संयोग या योजना?
- पायलट केबिन का क्लोजअप — सामान्य ट्रैवल कंटेंट या ट्रेन सिस्टम की रणनीतिक निगरानी?
4. डिजिटल फॉरेंसिक डेटा (12 टेराबाइट्स):
- इस डेटा में पाकिस्तानी IPs, चैट्स, क्रिप्टिक कम्युनिकेशन, और वीडियो एन्कोडिंग एनालिसिस शामिल हैं।
इस प्रकरण का व्यापक महत्व:
पहलू | कारण |
---|---|
राष्ट्रीय सुरक्षा | भारत के सैन्य ऑपरेशनों, लोकेशनों, और इंफ्रास्ट्रक्चर की लीक |
धार्मिक पर्यटन की आड़ | सांस्कृतिक नगरों का दोहन, जहां सुरक्षा कम और भीड़ ज्यादा |
साइबर क्राइम का नया चेहरा | डिजिटल प्लेटफॉर्म से “स्टोरीटेलिंग के बहाने जासूसी” |
ISI का हाइब्रिड नेटवर्क | तकनीकी, मनोवैज्ञानिक और सोशल मीडिया आधारित जासूसी |
आगे की संभावनाएँ:
- NIA वाराणसी में उन सभी लोकेशनों का फिजिकल वेरीफिकेशन और क्रॉस-जांच करेगी जहाँ वीडियो शूट हुए।
- यूट्यूब वीडियो मेटाडेटा और जियो-टैगिंग से डिजिटल ट्रेल का विश्लेषण।
- ज्योति के संपर्कों, यात्रा टिकट, ठहरने की जगह और फाइनेंशियल ट्रांज़ैक्शन्स की जांच।
- ISI के संभावित sleeper cells या डमी फॉलोअर्स/कंटेंट प्रमोटर्स की पहचान।
ज्योति मल्होत्रा का मामला सिर्फ एक यूट्यूबर का विदेशी संपर्क नहीं, बल्कि भारत की धार्मिक, रणनीतिक और डिजिटल सुरक्षा पर गहरी साजिश का संकेत देता है। यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो यह केस भारत के लिए एक “वेक-अप कॉल” साबित हो सकता है कि कैसे सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर की आड़ में दुश्मन एजेंसियाँ काम कर रही हैं — और कैसे हमारी आस्था की नगरी काशी को एक फ्रंट बनाया जा सकता है।