‘ऑपरेशन खुकरी’ भारतीय सेना के इतिहास का एक ऐसा अध्याय है, जिसने दुनिया को यह दिखा दिया कि भारत अपने सैनिकों को कभी अकेला नहीं छोड़ता — चाहे वह धरती के किसी भी कोने में क्यों न हों। इस मिशन में साहस, रणनीति और जज़्बे की पराकाष्ठा देखने को मिली।
ऑपरेशन खुकरी: वीरता की मिसाल
स्थान: कैलाहुन, सिएरा लियोन (पश्चिम अफ्रीका)
समय: मई-जुलाई 2000
उद्देश्य: संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के तहत घिरे हुए 223 भारतीय गोरखा सैनिकों को रिवॉल्यूशनरी यूनाइटेड फ्रंट (RUF) के कब्जे से मुक्त कराना।
स्थिति और चुनौती
- RUF विद्रोहियों ने भारतीय सेना की 5/8 गोरखा राइफल्स की दो कंपनियों को कैलाहुन में घेर लिया था।
- ये सैनिक लगभग 75 दिन तक दुश्मनों से घिरे रहे, बेहद सीमित संसाधनों में।
- विद्रोहियों ने सभी विदेशी टुकड़ियों से हथियार डालने को कहा — 16 देशों ने आत्मसमर्पण कर दिया, लेकिन भारत ने नहीं।
ऑपरेशन खुकरी की शुरुआत
- तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ऑपरेशन को मंजूरी दी।
- 15 जुलाई 2000 को तड़के 2 पैरा स्पेशल फोर्स के 80 कमांडो को ब्रिटिश चिनूक हेलीकॉप्टरों से घेराबंदी में उतारा गया।
- मेजर राजपाल पुनिया ने पूरे ऑपरेशन की कमान संभाली।
- भारी बारिश और दुर्गम भूभाग के बीच दो दिनों तक जबरदस्त लड़ाई हुई।
परिणाम
- लगभग 150 RUF आतंकियों को ढेर किया गया।
- 223 भारतीय सैनिकों को सुरक्षित निकाल लिया गया।
- केवल एक वीर सैनिक, हवलदार कृष्ण कुमार, शहीद हुए — उनकी स्मृति में सिएरा लियोन में ‘खुकरी वॉर मेमोरियल’ बनाया गया।
किताब और फिल्म
- किताब: Operation Khukri: The Untold Story of the Indian Army’s Bravest Peacekeeping Mission Abroad
- लेखक: मेजर जनरल राजपाल पुनिया और दामिनी पुनिया
- प्रकाशन: 2021, Penguin Random House India
- रणदीप हुड्डा ने इसके फिल्म अधिकार खरीदे हैं — वह इस पर आधारित देशभक्ति से भरपूर फिल्म बनाएंगे और अभिनय भी करेंगे।
‘खुकरी’ नाम क्यों?
- ‘खुकरी’ वह पारंपरिक नेपाली चाकू है जिसका प्रयोग गोरखा सैनिक करते हैं।
- यह साहस, युद्धकला और बलिदान का प्रतीक है — इसलिए इस ऑपरेशन को यही नाम दिया गया।
महत्व और संदेश
- ऑपरेशन खुकरी ने भारत की रणनीतिक क्षमता, सेनाओं की वीरता, और राष्ट्र की सैनिकों के प्रति प्रतिबद्धता का ऐतिहासिक प्रमाण दिया।
- यह ऑपरेशन आज भी सैन्य शिक्षा में क्लासिक रेस्क्यू मिशन के रूप में पढ़ाया जाता है।