एटीएस ने पिछले दो दिनों में दो बंग्लादेशी युवकों को पकड़ा है। वे देवबंद के दारुल उलूम वक्फ क्षेत्र में अवैध रूप से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रह रहे थे और यहां टोपी बेचने का काम कर रहे थे। स्पेशल डीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि भोपाल में पकड़े गए शहादत हुसैन की गिरफ्तारी के बाद से इन दोनों को देवबंद से गिरफ्तार किया गया है। उनके असली नाम अहमदुल्लाह और हबीबुल्लाह मिस्बाह हैं, जोकि यहां अब्दुल और नवल के नाम से रह रहे थे। दोनों बांग्लादेशियों ने भारत में बिना पासपोर्ट वीजा के रहने की बात कबूल की है। वे अवैध रूप से पश्चिम बंगाल के दक्षिणी दिनारपुर से घुसे और वहां से फर्जी पहचान पत्र बनवाकर देवबंद में रहकर कारोबार शुरू कर दिया। उन्होंने शहादत हुसैन की पत्नी को रकम भेजेने की बात भी स्वीकार की है। आरोपियों के पास से फर्जी भारतीय पहचान पत्र, बैंक की पासबुक, मोबाइल फोन और आपत्तिजनक साहित्य बरामद हुआ है। विदेशी नागरिक अधिनियम 14/14बी के तहत मामला दर्ज किया गया है।
एडीजी ने बताया कि पूछताछ में मिली सूचनाओं के आधार पर इनके फर्जी पहचान पत्र बनाने वालों की पहचान भी की जा रही है। पहले भी देवबंद से बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार किए गए हैं, जिनकी भूमिका संदिग्ध रही है। पकड़े गए दोनों युवकों के विषय में बांग्लादेश के दूतावास को भी जानकारी दी गई है।
खास सवाल ये भी है कि बांग्लादेशी युवक देवबंद में ही क्यों पनाह लेते हैं और ये दारुल उलूम वक्फ क्षेत्र में भी क्यों रहते हैं? भाषा और बोली से पकड़ में आ जाने वाले ये युवक दारुल उलूम के प्रबंधकों की नजर में क्यों नही आते? दारुल उलूम को लेकर ऐसे सवाल चर्चा में हैं।