कॉर्बेट पार्क और राजा जी पार्क से सटे बिजनौर फॉरेस्ट डिविजन में दो दिन से दलदल में फंसे हाथी की मौत हो गई है। वन विभाग का कहना है कि हाथी को दलदल से बाहर निकाल लिया गया था लेकिन बुखार और कमजोरी की वजह से उसने दम तोड़ दिया। बतादें, बिजनौर के राजगढ़ वन बीट में गांव के पास एक गन्ने के खेत में दलदल में हाथी फंस गया था। एक बार उसे ट्रैक्टर रस्से के सहारे निकाल लिया गया, जब वो जंगल जाने लगा तो थोड़ी दूर फिर दलदल में फंसकर गया था। जिसे बीस घंटे की मेहनत के बाद निकाला गया और वो थोड़ी दूर जाकर लेट गया। थोड़ी देर बाद उसकी मौत हो गई।
फॉरेस्ट अधिकारी प्रिंस कुमार के मुताबिक हाथी को ज्वर था और कमजोरी की वजह से उसने दम तोड़ दिया। इस घटना के बाद फॉरेस्ट अधिकारियों पर भी सवाल उठे हैं। जानकारी के मुताबिक हाथी जब दलदल में फंसा था तो उसे उसके शरीर के हिसाब से चारा खुराक या गन्ना नहीं दिया गया। जिसकी वजह से उसकी ताकत खत्म हो गई। हाथी की उम्र बीस बरस की बताई गई है और उसका पोस्टमार्टम करवा कर वहीं जंगल के पास गड्ढा कर उसे मिट्टी में दबा दिया गया है।
बिजनौर जिले के नजीबाबाद वन प्रभाग के बढ़ापुर रेंज में पिछले दो हफ्ते में तीन हाथियों की मौत हुई है। फॉरेस्ट वनाधिकारी जितेंद्र सिंह के मुताबिक एक हाथी-बाघ के साथ आपसी संघर्ष में मारा गया। ऐसा इसलिए प्रतीत हुआ है कि हाथी के शरीर पर चोट के निशान है और वनकर्मियो ने बाघ हाथी के संघर्ष की पुष्टि भी की थी। मृतक हाथी की उम्र पांच साल आंकी गई। दूसरे हाथी की मौत बरखेड़ा रेंज में बीमारी से हुई प्रतीत होती है। इसकी उम्र बारह साल बताई गई है। तीसरी ये घटना राज गढ़ रेंज में हुई है। तीनों हाथियों का पोस्टमार्टम करवा कर उन्हे दफना दिया गया है।
एकाएक तीन युवा हाथियों की मौत पर सवाल भी उठ रहे हैं कि आखिरकार जंगल में वन्यजीव कितने संरक्षित और सुरक्षित हैं।