मिशनरी से जुड़े लोग छल—बल, लोभ—लालच और कभी जबरन से हिंदुओं को ईसाई बनाते हैं। इस कारण अनेक जगह विवाद होते हैं। एक ऐसे ही मामले में झाबुआ के सत्र न्यायाधीश लखनलाल गर्ग ने एक फादर और उसके साथ कुछ अन्य लोगों को दो—दो साल की सश्रम सजा सुनाई है। इसके साथ ही इन लोगों को 50,000 रु का दंड भी भरने का आदेश दिया गया है।
बता दें कि 2021 में गांव बिसौली के रहने वाले 26 वर्षीय एक युवक टेटिया, पिता हरू बारिया, ने पुलिस में एक शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें उसने विस्तार से बताया था कि फादर जाम सिंह, पिता जोगड़िया डिडोर, मंगू, पिता मेहताब भूरिया और पास्टर अन सिंह, पिता गलिया निनामा, ये तीनों गांव बिसौली में हर रविवार को प्रार्थना सभा आयोजित करते हैं और उसमें जनजातियों को ईसाई बनाया जाता है।
टेटिया ने यह भी लिखा कि 26 दिसंबर, 2021 को सुबह आठ बजे जाम सिंह ने मुझे और एक महिला सुरती बाई को प्रार्थना सभा में बुलाया। वहां मुझ पर पानी का छिड़काव किया गया और बाईबिल पढ़ी गई। इसके बाद कहा गया कि यदि तुम ईसाई बन जाओगे तो परिवार के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा और ईसाई अस्पताल में परिवार के सभी लोगों का नि:शुल्क इलाज होगा।
यह बात सुनकर टेटिया चकित रह गया और उसने साफ मना कर दिया कि वह ईसाई नहीं बनेगा। इसके बाद उसने पुलिस में शिकायत की। बाद में पुलिस ने इस पूरे मामले की जांच की और न्यायालय में आरोपपत्र दाखिल कर दिया। न्यायालय ने मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश 2020 और विधेयक 2021 की धारा 5 के अंतर्गत आरोपियों को दोषी ठहराया और उन्हें सजा दी। उम्मीद है कि इस सजा से वे लोग सबक लेंगे, जो एक विशेष उद्देश्य से हिंदुओं को ईसाई बनने के लिए विवश करते हैं।