: समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर केंद्र सरकार कितनी गंभीर है, इसका पता इसी बात से चलता है कि हाल ही में बीते 27 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने भोपाल में समान नागरिक संहिता की जरूरत पर अपनी राय रखी थी. इसके अगले दिन बीजेपी शासित उत्तराखंड से खबर ये आई कि वहां समान नागरिक संहिता को लेकर फाइनल ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है. अब खबर आ रही है कि केंद्र सरकार संसद के मॉनसून सत्र में समान नागरिक संहिता का विधेयक पेश करने जा रही है. इसका मतलब ये है कि केंद्र सरकार काफी पहले से ही समान नागरिक संहिता को लेकर तैयारियों में जुटी थी और अब इसपर संसद की मुहर लगाने वाली तैयारी की जा रही है.
संसद का मॉनसून सत्र जुलाई महीने के तीसरे हफ्ते से शुरू होने जा रहा है. इससे पहले तीन जुलाई को समान नागरिक संहिता को लेकर सांसदों की राय जानने के लिए, संसदीय स्थायी समिति की बैठक बुलाई गई है. इस मुद्दे पर लॉ कमीशन और कानूनी मामलों के अन्य विभागों के प्रतिनिधियों को भी बुलाया गया है. तो एक तरह से केंद्र सरकार अपना पूरा मन बना चुकी हैं कि, जल्दी से जल्दी समान नागरिक संहिता को देश पर लागू किया जाए. लेकिन इस बीच उत्तराखंड, इस मामले में केंद्र से भी ज्यादा तेजी से काम कर रहा है.
उत्तराखंड सरकार ने यूसीसी पर एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई थी. इस एक्सपर्ट कमेटी ने पूरे राज्य में 63 अलग-अलग बैठकें कीं, 2 लाख 31 हजार से ज्यादा लिखित सुझाव मिले, 20 हजार से ज्यादा लोगों से बात की. अब इस कमेटी ने समान नागरिक संहिता का फाइनल ड्राफ्ट तैयार कर लिया है. कमेटी जल्दी इसको राज्य सरकार को सौंपने जा रही है. इस कमेटी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेस करके इसकी जानकारी सभी को दी. इस कमेटी का कहना है कि UCC के आने से धर्मनिरपेक्षता बढ़ेगी, जेंडर, धर्म या जाति के आधार पर भेदभाव नहीं होगा.
उत्तराखंड के यूसीसी को लेकर केंद्र के लिए मॉडल की तरह देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि जिस तरह के नियम इसमें बनाए गए हैं, उसी तरह के नियम, केंद्र के UCC वाले ड्राफ्ट में हो सकते हैं. यूसीसी पर उत्तराखंड सरकार की तेजी से, बहुत से नेता चिढ़े हुए हैं. समान नागरिक संहिता को लेकर बीजेपी का रुख साफ है. लेकिन विपक्ष की इसको लेकर अलग तरह की चिंताएं हैं. कई विपक्षी पार्टियां, UCC के विरोध पर अड़ी हैं तो कुछ इसको सैद्धांतिक तौर पर सही मान रही हैं.