गत दिनों जुलाई को दिल्ली उच्च न्यायालय ने विश्व हिंदू परिषद् के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने के निचली अदालत के आदेश को निरस्त कर दिया। बता दें कि जुलाई, 2019 में पुरानी दिल्ली के लालकुआं में कुछ मुसलमानों ने एक हिंदू मंदिर को नुकसान पहुंचाया था।
विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में हिंदुओं ने इसका विरोध किया। इसे मुद्दा बनाते हुए कथित सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने दिल्ली पुलिस को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने कहा कि विश्व हिंदू परिषद् की सभा में काशी से आए हुए एक संन्यासी ने भड़काऊ भाषण दिया है।
उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज की जाए। इस पत्र में आलोक कुमार का नाम नहीं था। पुलिस ने जांच-पड़ताल के बाद पाया कि संन्यासी के भाषण में आपत्तिजनक कुछ नहीं था। मंदर ने न्यायालय से निवेदन किया कि वह पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दे। इसी के साथ उसमें आलोक कुमार का भी नाम जोड़ दिया गया। इसके बाद दंडाधिकारी ने आदेश दे दिया कि आलोक जी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। आलोक कुमार ने इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।