विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत में निर्मित खांसी की सात सिरप को ब्लैक लिस्ट किया है। इस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि भारत नकली दवाइयों को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रहा है। नकली दवाइयां कतई बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। एक विशेष साक्षात्कार में मनसुख मंडाविया ने कहा कि नकली दवा को लेकर 71 कंपनियों को नोटिस जारी किया गया है। इनमें से 18 को बंद करने के लिए कहा गया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि देश में गुणवत्तापूर्ण दवाइयों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सरकार और दवा नियामक यह सुनिश्चित कर रही हैं कि नकली दवा के कारण किसी की जान न जाए। भारत गुणवत्तायुक्त दवाइयां बना रहा है। दुनिया के लिए हम गुणवत्ता वाली फार्मेसी हैं। फरवरी में तमिलनाडु की ग्लोबल फार्मा ने आंखों की दवाई की अपनी पूरी खेप वापस ली थी।
उन्होंने बताया कि भारत ने 2022-23 में 17.6 अरब अमेरिकी डॉलर के कफ सीरप का निर्यात किया, जबकि 2021-22 में यह निर्यात 17 अरब अमेरिकी डॉलर का था। उन्होंने कहा कि भारतीय दवाओं के बारे में सवाल उठाने पर तथ्यों की भी जरूरत होती है। गाम्बिया में कहा गया कि 49 बच्चों की मौत हुई है। हमने तथ्य मांगे तो कोई भी तथ्य देने नहीं आया। एक कंपनी के सैंपल की जांच की थी। बच्चे की मौत की वजह अतिसार था। अतिसार में खांसी की दवा की सलाह क्यों दी गई। 24 नमूने लिए गए, जिनमें से चार विफल रहे। इसके बावजूद हम सतर्क हैं।
भारत ने निर्यात से पहले खांसी के सीरप के लिए परीक्षण अनिवार्य कर दिया है। निर्यात से पहले किसी सरकारी प्रयोगशाला द्वारा जारी विश्लेषण प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना आवश्यक है।