स्ट्रैटेजिक फॉर्स कमांड (SFC) ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ मिलकर 3 अप्रैल को शाम को 7 बजे ओडिशा के तट पर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से न्यू जेनरेशन बैलिस्टिक मिसाइल, अग्नि-प्राइम का सफल उड़ान परीक्षण किया. टर्मिनल प्वॉइंट पर रखे गए दो डाउनरेंज जहाजों सहित विभिन्न स्थानों पर तैनात कई रेंज सेंसर द्वारा कैप्चर किए गए डेटा के मुताबिक, परीक्षण ने अपने विश्वसनीय प्रदर्शन को मान्य करते हुए सभी उद्देश्यों को पूरा किया है.
अग्नि-प्राइम के लॉन्च के दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड के प्रमुख और डीआरडीओ और भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर मौजूद करे.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ, एसएफसी और सशस्त्र बलों को सफल परीक्षण के लिए शुभकामनाएं दीं. उन्होंने कहा कि मिसाइल का सफल विकास सशस्त्र बलों की शक्ति को बढ़ाएगा. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने सफल उड़ान परीक्षण के लिए एसएफसी और डीआरडीओ के प्रयासों की सराहना की.
Strategic Forces Command (SFC) along with DRDO conducted a successful flight test of New Generation Ballistic Missile Agni-Prime from Dr APJ Abdul Kalam Island off the coast of Odisha at around 7:00 PM yesterday. The test met all the trial objectives validating its reliable… pic.twitter.com/HdRVExs14P
— ANI (@ANI) April 4, 2024
1500-3000 kg वजन के वॉरहेड लगा सकते हैं
यह मिसाइल उच्च तीव्रता वाले विस्फोटक, थर्मोबेरिक या परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है. मिसाइल की नाक पर 1500 से 3000 kg वजन के वॉरहेड लगा सकते हैं. यह दो स्टेज के रॉकेट मोटर पर चलने वाली मिसाइल है. इस मिसाइल का वजन 11 हजार kg है. यह सॉलिड फ्यूल से उड़ने वाली मिसाइल है.
तीसरा स्टेज यानी दुश्मन की मौत
तीसरा स्टेज MaRV है यानी मैन्यूवरेबल रीएंट्री व्हीकल. यानी तीसरे स्टेज को दूर से नियंत्रित करके दुश्मन के टारगेट पर सटीक हमला कर सकते हैं. इसे बीईएमएल-टट्रा ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर से दागा जाता है. इसे तब बनाया गया जब चीन ने डीएफ-12डी और डीएफ-26बी मिसाइलें बनाईं. इसलिए भारत ने एरिया डिनायल वेपन (Area Denial Weapon) के तौर पर इस मिसाइल को बनाया.
बाकी अग्नि मिसाइलों से हल्की है अग्नि-प्राइम
अग्नि-I सिंगल स्टेज मिसाइल थी, वहीं अग्नि प्राइम दो स्टेज की हैं. अग्नि प्राइम का वजन इसके पिछले वर्जन से हल्का भी है. 4 हजार km की रेंज वाली अग्नि-IV और पांच हजार km की रेंज वाली अग्नि-V से इसका वजन हल्का है. अग्नि-I का 1989 में परीक्षण किया गया था. फिर 2004 से इसे सेना में शामिल किया गया. उसकी रेंज 700-900 km थी. अब उसकी जगह इस मिसाइल को तैनात किया जाएगा.