बांग्लादेशी घुसपैठियों को लम्बे समय तक जेल में रखे जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल से जवाब माँगा है। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि आखिर इन घुसपैठियों को वापस उनके देश क्यों नहीं भेजा जा रहा है। यह टिप्पणियाँ सुप्रीम कोर्ट ने इन घुसपैठियों की वकालत करने वाले एक समूह की जनहित याचिका पर की हैं।
क्या बोला सुप्रीम कोर्ट?
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस R महादेवन की बेंच ने 30 जनवरी को याचिका पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हम यह समझना चाहते हैं कि एक बार बांग्लादेश से आए घुसपैठिए को किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद क्या यह साबित नहीं हो जाता कि वह भारतीय नहीं है?”
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, “ऐसे सैकड़ों अवैध प्रवासियों को अनिश्चित काल के लिए डिटेंशन सेंटर या सुधार गृह में रखने का क्या मतलब बनता है? केंद्र सरकार को हमारे द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देना होगा।” कोर्ट ने अवैध बांग्लादेशियों को वापस भेजे जाने में देरी पर भी सवाल उठाए।
उन्होंने कहा, “हमारे मन में केवल एक यह कन्फ्यूजन है कि एक बार जब किसी घुसपैठिए पर मुकदमा चलाया जाता है और उसे दोषी ठहरा दिया जाता है तो फिर विदेश मंत्रालय से उसकी नागरिकता के सत्यापन की क्या जरूरत पड़ती है।”
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल से भी जवाब तलब किया है। कोर्ट ने कहा, “हम पश्चिम बंगाल से भी जानना चाहेंगे कि क्या इस मामले में उनकी कोई भूमिका है। हम केंद्र सरकार से यह भी जानना चाहेंगे कि ऐसे मामले में पश्चिम बंगाल से क्या अपेक्षा रखी जाती है।”
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जब 2009 में गृह मंत्रालय में 30 दिनों के भीतर घुसपैठियों की पहचान करने का नियम बनाया था तो अब इसे क्यों नहीं लागू किया जा रहा। उसने इनको वापस भेजने में की जा रही देरी पर भी प्रश्न उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से वर्तमान में जेलों में बंद बांग्लादेशी घुसपैठियों का ताजा आँकड़ा देने को कहा है।
NGO ने डाली है याचिका
यह सारी टिप्पणियाँ सुप्रीम कोर्ट ने कॉमनवेल्थ ह्यूमन राईट इनिशिएटिव (CHRI) नाम के NGO द्वारा दायर की जनहित याचिका पर की। CHRI ने यह याचिका सबसे पहले 2011 में कलकत्ता हाई कोर्ट में डाली थी। इस याचिका में कहा गया था कि जेलों में बंद बांग्लादेशी घुसपैठियों की स्थिति दयनीय है और उनके मामलों में राज्य और केंद्र सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी हैं।
CHRI ने कह़ा था कि इन घुसपैठियों की सजा पूरी होने के बाद भी इन्हें वापस इनके देश नहीं भेजा जा रहा। इस मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट ने नोटिस जारी किया था। हालाँकि, कार्रवाई ना होती देख याचिका करने वाले सुप्रीम कोर्ट चले आए थे। इसके बाद इस पर सुनवाई चालू हुई है।
गौरतलब है कि बीते कुछ समय से सरकार और सुरक्षा एजेंसियाँ बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान और उन्हें वापस भेजने को लेकर तेजी से काम कर रही हैं। जनवरी महीने में ही देश के अलग-अलग हिस्सों में सैकड़ों रोहिंग्या और बांग्लादेशी गिरफ्तार किए गए हैं।