सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के दो पत्रकारों
शशिकांत गोयल और अमरकांत चौहान — को गिरफ्तारी से दो हफ्ते की अंतरिम राहत दी है। इन पत्रकारों का आरोप है कि उन्होंने बालू माफिया के खिलाफ रिपोर्टिंग की, जिसके कारण पुलिस उन्हें परेशान कर रही है और जान से मारने की धमकी दे रही है। पत्रकारों की ओर से पेश हुईं वकील वारिशा फरासत ने अदालत में दलील दी कि उनके मुवक्किलों के खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए हैं और रिकॉर्ड में गलत तथ्य दर्ज किए गए हैं।
सुनवाई के दौरान जस्टिस मनमोहन ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ दो हफ्तों तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी और उन्हें इस दौरान मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में नियमित जमानत के लिए आवेदन करना होगा। वहीं जस्टिस पीके मिश्रा ने सवाल किया कि सबूत के अभाव में पत्रकार सीधे सुप्रीम कोर्ट क्यों पहुंचे।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि वह अग्रिम जमानत याचिका पर आगे विचार नहीं करेगा, लेकिन जब तक याचिकाकर्ता हाई कोर्ट का रुख नहीं करते और हाई कोर्ट अंतरिम राहत पर फैसला नहीं करता, तब तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। साथ ही अदालत ने मध्य प्रदेश पुलिस को इस मामले में नोटिस जारी किया है।
गौरतलब है कि प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने भी इस घटना की निंदा करते हुए कहा था कि पत्रकारों को थाने में कथित रूप से पीटा गया था। यह मामला न सिर्फ प्रेस की स्वतंत्रता पर सवाल खड़ा करता है बल्कि प्रदेश में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर भी गंभीर चिंता उत्पन्न करता है।