सुप्रीम कोर्ट में नए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को रुकवाने के लिए एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की याचिका पर शुक्रवार (15 मार्च) को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने आयुक्तों कि नियुक्ति को रद्द करने से इनकार कर दिया।
हालांकि, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा यह भी कहा कि जब मामला कोर्ट में लंबित था तो नियुक्ति क्यों की गई। यह सरकार को बताना होगा। हम मामले को 21 मार्च के लिए लिस्ट करते हैं।
ADR के अलावा मध्य प्रदेश की कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने भी मामले में एक याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर बने नए कानून में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) को चयन समिति से बाहर कर दिया गया है। ऐसे में यह प्रक्रिया निष्पक्ष नहीं रही गई। ऐसे में सिलेक्शन कमेटी में CJI का होना जरूरी है।
याचिकाकर्ता के वकील बोले- SC के फैसले की अवहेलना हुई
याचिकाकर्ता की तरफ से सुनवाई के दौरान बताया गया कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के नए कानून के मुताबिक दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति गुरुवार को हो चुकी है। वकील विकास सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 2 मार्च को नियुक्ति से जुड़े मामले के फैसले में कहा था कि इन पदों पर नियुक्ति का फैसला चीफ जस्टिस, पीएम और विपक्ष के नेता वाली कमेटी ही करेगी। उन्होंने कहा कि SC के फैसले की अवहेलना हुई है।
नियुक्ति प्रक्रिया में CJI के न होने से हेरफेर की आशंका
याचिकाकर्ताओं ने चीफ इलेक्शन कमिश्नर एंड इलेक्शन कमिश्नर (अपॉइंटमेंट, कंडिशन ऑफ सर्विस एंड टर्म ऑफ ऑफिस ) एक्ट-2023 की धारा-7 को चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि यह संविधान के अनुच्छेद-14 का उल्लंघन करता है।
याचिका के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सिलेक्शन कमेटी में प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को होना चाहिए। केंद्र सरकार ने 2023 में जो कानून बनाया है, उसमें सिलेक्शन कमिटी में चीफ जस्टिस को हटाकर उनकी जगह PM की ओर से नामित केंद्रीय मंत्री को रखा गया है। इस तरह से सिलेक्शन प्रक्रिया खतरे में होगी और हेरफेर का अंदेशा है।
ज्ञानेश और सुखबीर चुनाव आयुक्त बने
केंद्र सरकार ने गुरुवार शाम को नोटिफिकेशन जारी करके बताया कि पूर्व IAS अफसर ज्ञानेश कुमार और सुखबीर संधू चुनाव आयोग में नए चुनाव आयुक्त होंगे। गुरुवार की सुबह ही इनकी नियुक्ति को लेकर प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले पैनल ने बैठक की। इसके बाद नेता विपक्ष अधीर रंजन ने इनके नामों के तय होने की संभावना जताई थी।
सुखबीर उत्तराखंड के चीफ सेक्रेटरी और NHAI के चेयरमैन रह चुके हैं। ज्ञानेश कुमार 1988 बैच के केरल कैडर के IAS अफसर हैं। वे गृह मंत्रालय में रह चुके हैं। धारा 370 पर फैसले के वक्त गृह मंत्रालय में पोस्टेड थे। सहकारिता मंत्रालय में सचिव पद से रिटायर हुए हैं।
याचिकाकर्ता ने क्या कहा
याचिकाकर्ता जया ठाकुर की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि जब कोई फैसला सुनाया जाता है तो कोई उल्लंघन नहीं हो सकता। उन्होंने तर्क दिया कि मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) अधिनियम 2023 में स्पष्ट उल्लंघन हुआ है।
बता दें कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी ज्ञानेश कुमार और सुखबीर संधू को गुरुवार को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया। इनका चयन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाले पैनल द्वारा किया गया। चुनाव आयोग में दो रिक्तियां 14 फरवरी को अनूप चंद्र पांडे की सेवानिवृत्ति और अरुण गोयल के अचानक इस्तीफे के बाद उत्पन्न हुई थीं।
ऐसे होती है चुनाव आयुक्त की नियुक्ति
29 दिसंबर 2023 को ही CEC और EC की नियुक्ति का कानून बदला है। इसके मुताबिक, विधि मंत्री और दो केंद्रीय सचिवों की सर्च कमेटी 5 नाम शॉर्ट लिस्ट कर चयन समिति को देगी। प्रधानमंत्री, एक केंद्रीय मंत्री और विपक्ष के नेता या सबसे बड़े विरोधी दल के नेता की तीन सदस्यीय समिति एक नाम तय करेगी। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद नियुक्ति होगी।