भोजशाला मामले में मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के धार में भोजशाला परिसर के एएसआई सर्वे के खिलाफ मुस्लिम पक्ष को फिलहाल कोई राहत नहीं दी है। मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका में सर्वे से जुड़े मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
भोजशाला परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने हाई कोर्ट में अर्जी दायर की थी। इस सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के इंदौर बेंच ने एएसआई को वैज्ञानिक सर्वे करने का आदेश दिया था। जिसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट गया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट से उसे राहत नहीं मिली।
एएसआई सर्वे हुआ शुरू
भोजशाला में आज सुबह करीब छह बजे ज्ञानवापी की तरह वैज्ञानिक सर्वे (एएसआई सर्वे) शुरू हो गया। यह सर्वे मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के इंदौर बेंच के आदेश पर शुरू किया गया है। दिल्ली और भोपाल के अफसरों की सर्वे टीम सुबह छह बजे भोजशाला परिसर पहुंची। टीम ने भवन का निरीक्षण किया। इसके बाद मजदूरों को मेटल डिटेक्टर से जांच के बाद प्रवेश कराया गया। सभी के मोबाइल फोन बाहर रखवा लिए गए हैं। मजदूर खुदाई के लिए उपयुक्त सामग्री के साथ पहुंचे हैं। इस क्षेत्र की निगरानी 60 सीसीटीवी की मदद से की जा रही है।
सर्वे के मद्देनजर शहर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अपर महानिदेशक प्रो. आलोक त्रिपाठी के अनुसार हाई कोर्ट के निर्देश पर वैज्ञानिक सर्वे को जीपीआर-जीपीएस तरीके से किया जाएगा।
भोजशाला का आधिपत्य कभी भी मुसलमानों के हाथ में नहीं था
स्मारक अधिनियम के अंतर्गत इस स्थान को 1904 में संरक्षित घोषित कर दिया गया था। बाद में भी उस संरक्षा को दोहराया गया है। आज यह स्थान ए.एस.आई. के आधिपत्य में है। इसका आधिपत्य कभी भी मुसलमानों के हाथ में नहीं था। इसलिए इसके वक्फ संपत्ति होने का कोई प्रश्न ही नहीं है।
राजा भोज ने बनवाई थी भोजशाला
परमार साम्राज्य की राजधानी थी धार। परमारों ने नवीं-दसवीं शताब्दी से लेकर चौदहवीं शताब्दी के प्रारंभ तक 300 वर्ष से भी अधिक समय तक मालवा पर शासन किया। राजा भोज के कार्यकाल में परमार साम्राज्य ज्ञान, वैभव एवं पराक्रम के शिखर पर था। भोज स्वयं प्रतापी योद्धा एवं प्रकांड विद्वान थे। उन्होंने युद्धों में विजय प्राप्त कर साम्राज्य की सीमाओं और संपन्नता को बढ़ाया, तो दूसरी ओर विद्वानों, कवियों, कलाकारों आदि को राज्याश्रय देकर संस्कृति को भी समृद्ध किया। धारानगरी में ही उन्होंने एक विशाल परिसर में भोजशाला विकसित की, जहां विभिन्न कलाओं, शास्त्र आदि की उच्च शिक्षा दी जाती थी। राजा भोज ने विद्या की देवी मां सरस्वती की अत्यंत सुन्दर मूर्ति, मां वाग्देवी की स्थापना कर एक भव्य सरस्वती मंदिर भी बनवाया था।