सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को संदेशखाली मामले पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के संदेशखली गांव में हुई हिंसा की अदालत की निगरानी में सीबीआई या एसआईटी जांच की मांग वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि इस मामले पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने खुद संज्ञान लिया। ऐसे में हम क्यों दखल दें? जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने पहले ही मामले को समझ लिया है और संज्ञान ले लिया है।
बेंच ने जनहित याचिका याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने की छूट देते हुए कहा, “दोहरे मंच नहीं होने चाहिए।” चूंकि बेंच मामले पर विचार करने के लिए अनिच्छुक थी, याचिकाकर्ता-वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने जनहित याचिका वापस ले ली। मामला वापस लिया गया मानकर खारिज कर दिया गया।
Supreme Court refuses to entertain plea seeking transfer of investigation and subsequent trial outside West Bengal and probe by the Central Bureau of Investigation or a Special Investigation Team (SIT) in connection with alleged sexual assault of women living in village…
— ANI (@ANI) February 19, 2024
पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली गांव में एक स्थानीय टीएमसी नेता और उनके समर्थकों द्वारा महिलाओं के यौन शोषण के आरोपों को लेकर हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहा है। कई महिलाओं ने स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता शाजहां शेख और उनके समर्थकों पर जमीन हड़पने और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
शेख तब से फरार है, जब कथित तौर पर उससे जुड़ी एक भीड़ ने प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों पर हमला किया था, जो भ्रष्टाचार के एक मामले में उसके परिसर की तलाशी लेने गए थे।
संदेशखाली की तुलना मणिपुर से ना करें
शीर्ष अदालत ने कहा कि आप हाईकोर्ट जाएं, जब कोर्ट ने संज्ञान लिया है तो आपको वहां जाना चाहिए। स्थानीय कोर्ट बेहतर है। हाईकोर्ट के संज्ञान लेने के बाद क्या हुआ? इस पर वकील अलख ने कहा कि हाईकोर्ट के संज्ञान लेने के एक दिन बाद मुख्यमंत्री ने बयान दिया था और कहा था की वहां कोई दुष्कर्म नहीं हुआ है। ये बिलकुल मणिपुर की तरह का मामला है।
#WATCH | Advocate Alok Srivastava, who filed PIL in Supreme Court on the Sandeshkhali incident, says, "In PIL filed in Supreme Court on Sandheshkhali incident, the court refused to take cognizance of the matter as a similar matter is pending before Calcutta High Court. SC has… pic.twitter.com/mk1jLxl0A9
— ANI (@ANI) February 19, 2024
इस दलील पर बेंच ने कहा कि इस मामले की तुलना मणिपुर मामले से न करें। हम आपको ये इजाजत देंगे की आप हाईकोर्ट की सुनवाई में शामिल हो सकें। अर्जी दाखिल कर सकें। अलख श्रीवास्तव ने सुप्रीम के दूसरे मामलों का हवाला देते हुए कहा कि इनमें भी अदालत ने सीधा दखल दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने फिर कहा कि आप मणिपुर से इस मामले की तुलना न करें। हाईकोर्ट के पास भी एसआईटी गठित करने का अधिकार है। ऐसे में हाईकोर्ट को ही तय करने दीजिए। हाईकोर्ट के पास अधिकार है कि वो एसआईटी का गठन करे।