प्रयागराज महाकुंभ में 29 जनवरी को मौनी अमावस्या स्नान के दौरान हुई भगदड़ में 30 श्रद्धालुओं की मौत और 60 लोगों के घायल होने के बाद, सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ जनहित याचिका दायर की गई थी। वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर याचिका में घटना की स्टेटस रिपोर्ट पेश करने, जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करने और गैर-हिंदी भाषी तीर्थयात्रियों के लिए सुविधा केंद्र खोलने की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका हाईकोर्ट भेजने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाईकोर्ट जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने इस हादसे को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
सरकार ने उठाए भीड़ प्रबंधन के उपाय
महाकुंभ क्षेत्र में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए सरकार ने भीड़ नियंत्रण के लिए 5 बड़े कदम उठाए हैं:
- बाहरी वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया।
- VVIP पासों को रद्द किया गया, जिससे प्रशासन को भीड़ नियंत्रण में मदद मिले।
- पुलिस और प्रशासन की संख्या बढ़ाई गई।
- स्नान घाटों पर बैरिकेडिंग और अलग-अलग प्रवेश और निकास मार्ग बनाए गए।
- ड्रोन और सीसीटीवी के जरिए भीड़ की निगरानी बढ़ाई गई।
श्रद्धालुओं पर असर नहीं, कुंभ जारी
हालांकि इस घटना के बावजूद श्रद्धालुओं की संख्या में कोई खास कमी नहीं आई है। मेला क्षेत्र में अब भी लाखों की संख्या में तीर्थयात्री आ रहे हैं, और प्रशासन ने भीड़ नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
इस घटना के बाद प्रयागराज महाकुंभ में भीड़ प्रबंधन को लेकर प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे हैं, लेकिन सरकार और स्थानीय प्रशासन स्थिति को नियंत्रित करने के प्रयास कर रहे हैं।