सुप्रीम कोर्ट ने रैपिडो, उबर पर रोक लगाने वाले मामले के संबंध में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। दरअसल, दिल्ली सरकार ने फरवरी 2023 में ओला-उबर और रैपिडो जैसी कैब एग्रीगेटर कंपनियों की बाइक सर्विस पर रोक लगा दी थी।
वहीं, सरकार के फैसले के खिलाफ कंपनियों ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले पर रोक लगा दी थी। इसी फैसले को लेकर दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी।
वहीं, अब सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की याचिका पर केंद्र का रुख जानना चाहा है। न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की अवकाश पीठ ने निर्देश दिया कि याचिकाओं की प्रति सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को दी जाए। उन्होंने कहा कि दोनों याचिकाओं की प्रति सॉलिसिटर जनरल को दी जानी चाहिए ताकि भारत संघ के विचारों को ध्यान में रखा जा सके।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता इस संबंध में सरकार की ओर से अपना पक्ष रखेंगे। वहीं, अवकाश पीठ ने आज की सुनवाई टालते हुए मामले को सोमवार के लिए सूचीबद्ध कर दिया है। यानी अब इस मामले की सुनवाई 12 जून को होगी।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष वशिष्ठ ने कहा कि अंतिम नीति अधिसूचित होने तक सरकार के नोटिस पर रोक लगाने का उच्च न्यायालय का फैसला रैपिडो की रिट याचिका को एक तरह से अनुमति देने जैसा है।
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार की इस बारे में पॉलिसी आने तक कैब एग्रीगेटर कंपनियों को बाइक सर्विस की इजाजत दे दी थी। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि पॉलिसी तक बाइक-टैक्सी एग्रीगेटर के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।
रैपिडो का परिचालन करने वाली वाली रोपेन ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में कहा था कि दिल्ली सरकार का आदेश बिना किसी औचित्य के पारित किया गया। इस साल की शुरुआत में जारी एक सार्वजनिक नोटिस में, सरकार ने बाइक-टैक्सियों को दिल्ली में चलने के खिलाफ चेतावनी दी थी और उल्लंघन करने वालों को 1 लाख रुपये तक के जुर्माने के लिए उत्तरदायी बनाया जाएगा।