लोकसभा सचिवालय की स्थापना की 95वीं वर्षगांठ पर संसद भवन में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि बदलते परिप्रेक्ष्य में सदनों की कार्य पद्धतियों में व्यापक बदलाव आए हैं और टेक्नोलॉजी ने सचिवालय की कार्यशैली को पूरी तरह से बदल दिया है।
बिरला ने यह भी सुझाव दिया कि यह जरूरी है कि हम समय के साथ चलते हुए नवीनतम तकनीकों के लिए स्वयं को तैयार रखें। इसके लिए नियमित प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और सीखते रहने की इच्छा रखना बहुत जरूरी है। सचिवालय को समर्पण और प्रतिबद्धता का एक उत्कृष्ट उदाहरण बनाने की दिशा में यहां के अधिकारियों और कर्मचारियों की निष्ठा और कड़ी मेहनत अत्यंत सराहनीय है और उन्हें विश्वास है कि सचिवालय के सभी अधिकारी और कर्मचारी इसी प्रकार भविष्य में भी अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देते रहेंगे।
बिरला ने आगे कहा कि जनप्रतिनिधियों के रूप में सांसद नागरिकों की समस्याओं को दूर करने, जरूरतों और आकांक्षाओं को पूरा करने और सामाजिक आर्थिक समस्याओं को दूर करने के लिए अथक प्रयास करते हैं। इस प्रक्रिया में सचिवालय के कर्मियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने इस बात का उल्लेख भी किया कि किस प्रकार सचिवालय के कर्मियों ने कोरोना महामारी के दौरान भी समर्पित होकर काम किया। पी-20 सम्मेलन की सफलता में उनके परिश्रम का बड़ा योगदान रहा। अधिकारियों और कर्मचारियों के सहयोग से संविधान सदन से नए संसद भवन में स्थानांतरण का काम भी सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।
अपने कार्यकाल के दौरान लोकसभा सचिवालय में कार्यकुशलता और मितव्ययिता को बढ़ावा देने के लिए किए गए परिवर्तनों का उल्लेख करते हुए बिरला ने कहा कि इस अवधि में बहुत सी नई पहलें भी हुई हैं और कामकाज में प्रौद्योगिकी का उपयोग निरंतर बढ़ा है। ई-ऑफिस, सदस्य पोर्टल, डिजिटल संसद, डिजिटल लाइब्रेरी, दस्तावेजों के डिजिटलीकरण, संसदीय कार्यक्रमों की ऑनलाइन स्ट्रीमिंग किया जाना, सोशल मीडिया में बढ़ती उपस्थिति और चिंतन शिविर जैसे कई नए प्रयास किए गए।
लोकसभा अध्यक्ष ने कार्यक्षेत्र और खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सचिवालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को सम्मानित करने के साथ ही उनके बच्चों को भी शिक्षा के क्षेत्र में उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया।