गुजरात के तटीय क्षेत्र में स्थित भारतीय वायुसेना का रणनीतिक रूप से अहम एयरफोर्स स्टेशन नालिया अब तेजस Mk1A जैसे अत्याधुनिक स्वदेशी लड़ाकू विमानों की तैनाती की तैयारी में है. यह कदम वायुसेना के आधुनिकीकरण की दिशा में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है, जहां अब तक मिग-2 विमान तैनात थे. पाकिस्तान सीमा के निकटवर्ती और संवेदनशील ‘सर क्रीक’ क्षेत्र से महज 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह एयरबेस भारत की पश्चिमी वायु रक्षा के लिहाज से बेहद अहम है.
इस कदम से भारत की पश्चिमी सीमा पर हवाई निगरानी, जवाबी कार्रवाई और आक्रामक रणनीति को नई धार मिलेगी. अब बात ‘सर क्रीक’ की चली है तो बता दें भारत और पाकिस्तान की सीमा पर 96 किलोमीटर लम्बी एक ‘ज्वारीय एस्चुरी’ है, यानी एक ऐसा तटीय क्षेत्र जहां नदी का मीठा पानी समुद्र के खारे पानी से मिलता है, और वहां का जल स्तर ज्वार-भाटे (tides) के कारण बदलता रहता है.
यह गुजरात के कच्छ जिले और पाकिस्तान मे सिंध की सीमा से लगी हुई है. यहां भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा को लेकर विवाद है. यह विवाद कच्छ के रण में 96 किलोमीटर लंबे मुहाने को लेकर है जो भारत के गुजरात को पाकिस्तान के सिंध प्रांत से अलग करता है. भारत-पाकिस्तान की सीमा से नजदीक होने के कारण यह एयरबेस भारत की पश्चिमी वायु रक्षा श्रृंखला में अहम भूमिका निभाता है.
नालिया एयरबेस पर तेजस Mk1A की तैनाती
इस क्षेत्र के सामरिक महत्व को देखते हुए, नालिया से सीधे मुकाबले में पाकिस्तान का मासरूर एयरबेस आता है, जो कराची के पास स्थित पाकिस्तान नौसेना और वायुसेना का एक प्रमुख सैन्य अड्डा है. मासरूर एयरबेस से पाकिस्तान की वायुसेना अपने लड़ाकू अभियानों को अंजाम देती रही है. ऐसे में भारतीय वायुसेना के तेजस Mk1A की तैनाती नालिया को मासरूर एयरबेस का शक्तिशाली और सामरिक काउंटर बनाएगी.
हालांकि, नालिया एयरबेस पहले से तेजस Mk1 के फाइनल ऑपरेशनल क्लीयरेंस (FOC) वर्जन की मेजबानी कर चुका है. साल 2024 में वायुसेना ने अपनी 18 स्क्वाड्रन ‘फ्लाइंग बुलेट्स’ को नालिया में तैनात कर इस स्वदेशी लड़ाकू विमान के लिए बुनियादी ढांचा विकसित करने की शुरुआत की थी. अब नालिया पर तेजस Mk1A की तैनाती मिग-21 के युग के समापन और आधुनिक तकनीक के युग में जाने की तैयारी कर रही है.
दुश्मन के खतरे का जवाब देने में होगा सक्षम
मिग-21, जो 1970 के दशक से भारत की वायु शक्ति की रीढ़ रहे हैं, को वायुसेना 2025 के अंत तक पूरी तरह से सेवानिवृत्त करने का प्लान बना चुकी है. तेजस Mk1A अपने पिछले वर्जनों की तुलना में बेहतर एवियोनिक्स, उच्च गतिशीलता, आधुनिक हथियार प्रणाली और पायलट सुरक्षा से लैस है. इसके लिए नालिया एयरबेस पर पिछले एक साल में कई फ्लाइंग ट्रायल्स लिए गए हैं, जिनमें एंटीबॉम हैंगर, आधुनिक रडार प्रणाली, और विशेष मेंटेनेंस सुविधा शामिल हैं.
सीमा के बेहद करीब स्थित होने के कारण, नालिया एयरबेस की तेज प्रतिक्रिया क्षमता और वायु सुरक्षा ऑपरेशनों का महत्व और भी बढ़ जाता है. तेजस Mk1A की तैनाती के बाद यह आधार दुश्मन के किसी भी संभावित खतरे का तेजी से और प्रभावी जवाब देने में सक्षम होगा. यह तैनाती सिर्फ एक तकनीकी बदलाव नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की रक्षा निर्माण क्षमता को नई ऊंचाइयों तक ले जाने वाला कदम भी है.