मुंबई के 26/11 अटैक के आरोपित आतंकी तहव्वुर राणा की भारत आने से बचने की आखिरी कोशिश नाकाम हो गई। अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने उसकी वो याचिका ठुकरा दी, जिसमें उसने अपने प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की गुहार लगाई थी। अब राणा को भारत लाने का रास्ता साफ हो गया है।
64 साल का तहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है, इस वक्त लॉस एंजिल्स के मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में बंद है। उसने अपने बचपन के दोस्त डेविड कोलमैन हेडली की मदद की थी, जिसने मुंबई में हमले की जगहों की रेकी की थी। भारत लंबे वक्त से उसे अपने यहाँ लाने की माँग कर रहा था, और अब ये माँग पूरी होने वाली है।
तहव्वुर राणा कौन है?
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उम्र: 64 वर्ष
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मूल: पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक
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व्यवसाय: शिकागो स्थित “First World Immigration Services” नामक फर्म का मालिक
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स्थान: इस वक्त अमेरिका के लॉस एंजिल्स मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में बंद
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रिश्ता: 26/11 के साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली का बचपन का दोस्त
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भूमिका: हेडली को फर्जी पहचान, वित्तीय मदद और भारत में कवर प्रदान किया
कानूनी लड़ाई – अंतिम कोशिश भी नाकाम
📅 तारीख | विवरण |
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27 फरवरी 2025 | राणा ने SC में “इमरजेंसी स्टे एप्लिकेशन” दायर की |
मार्च 2025 | जस्टिस एलेना कागन ने याचिका खारिज की |
अप्रैल 2025 | अंतिम पुनर्विचार याचिका भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की |
📌 राणा ने दावा किया:
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भारत में जान का खतरा है
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वो मुस्लिम और पाकिस्तानी मूल का है, इसलिए उसे टॉर्चर किया जा सकता है
➡️ अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने इसे नकार दिया और प्रत्यर्पण को मंजूरी दी
भारत का केस – NIA की चार्जशीट में क्या कहा गया?
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राणा ने लश्कर-ए-तैयबा और ISI के साथ मिलकर 26/11 की साजिश में मदद की
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हेडली को फर्जी डॉक्यूमेंट, वीजा सपोर्ट, और भारत में ठहरने का इंतजाम दिया
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उसकी फर्म की मुंबई ब्रांच का इस्तेमाल कर हमले की जगहों की रेकी करवाई गई
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राणा को हेडली के लश्कर से रिश्ते और मिशन की जानकारी थी
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राणा ने आतंकियों को भारत में ज़मीन तैयार करने में सहयोग किया
26/11 अटैक – एक झकझोर देने वाला नरसंहार
विवरण | आँकड़े |
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तारीख | 26 नवंबर – 29 नवंबर 2008 |
हमलावर | लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकी (समुद्र मार्ग से आए) |
निशाने | ताज होटल, CST स्टेशन, ओबेरॉय ट्राइडेंट, नरीमन हाउस, लियोपोल्ड कैफे आदि |
हथियार | AK-47, हैंड ग्रेनेड, IED |
मृतक | 166 लोग (विदेशी नागरिक भी शामिल) |
घायल | 300+ लोग |
ऑपरेशन | NSG, मरीन कमांडो, मुंबई पुलिस, RAF ने मिलकर अभियान चलाया |
ज़िंदा पकड़ा गया | अजमल कसाब (2012 में फाँसी) |
भारत की न्यायिक प्रक्रिया और अगला कदम
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NIA राणा के खिलाफ पहले से चार्जशीट दाखिल कर चुकी है
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प्रत्यर्पण के बाद उसे स्पेशल कोर्ट में पेश किया जाएगा
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भारतीय कानूनों के तहत UAPA, IPC की कई धाराओं के तहत मुकदमा चलेगा
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राणा के खिलाफ आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक की कार्रवाई संभव है
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में असर
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यह फैसला भारत और अमेरिका की गहरी रणनीतिक साझेदारी को दर्शाता है
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अमेरिका ने एक दुष्चक्र को तोड़ा, जहाँ कुछ आतंकी सहयोगी “मानवाधिकार” का हवाला देकर बचते रहे
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ट्रंप के बयानों और मोदी सरकार की मांगों का असर स्पष्ट दिखा
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हेडली के प्रत्यर्पण की राह भी अब नैतिक और कानूनी रूप से मजबूत होती दिख रही है
तहव्वुर राणा का भारत प्रत्यर्पण केवल एक कानूनी फैसला नहीं है, बल्कि 26/11 के पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। ये सन्देश है कि चाहे आतंक की साजिश अमेरिका में रची जाए, अंजाम पाकिस्तान से हो या निशाना भारत हो — इंसाफ की लंबी बांह उसे पकड़ ही लेती है।