भारत की ताकत को और भी ज्यादा मजबूत करने के लिए अब बॉर्डर पर स्वदेशी इंटीग्रेटेड एंटी ड्रोन सिस्टम तैनात किए गए हैं. ये लेजर वेपन सिस्टम, टारगेट को 800 मीटर ज्यादा दूरी पर इंगेज कर सकता है. इसके जरिए ड्रोन को सीधे पांच किलोमीटर से ज्यादा की रेंज में भी जैम किया जा सकता है, साथ ही मल्टीपल डायरेक्शन में 2 किलोमीटर से ज्यादा रेंज में ड्रोन को इंगेज कर सकता है.
भारतीय सेना की ताकत बढ़ाने के लिए ये स्वदेशी इंटीग्रेटेड एंटी ड्रोन सिस्टम उन्हें दिए गए हैं. इन्हें आर्मी एयर डिफेंस ने इन LASER वेपन सिस्टम को ऑपरेशन एरिया में तैनात कर दिया है. फिलहाल आर्मी एयर डिफेंस को ऐसे 7 एंटी ड्रोन सिस्टम मिले हैं, जिन्हें आर्मी अपनी जरूरतों को ध्यान में रखकर नॉर्दन बॉर्डर के अलावा वेस्टर्न बॉर्डर में भी तैनात किया है.
कैसे करता है काम?
ये पहले ऐसे स्वदेशी सिस्टम हैं जिसके जरिए ड्रोन या ड्रोन की तरह के किसी ऑब्जेक्ट को डिटेक्ट किया जा सकता है और फिर उसे सॉफ्ट किल यानी, जैम किया जा सकता है. इस तकनीक के जरिए ड्रोन को हार्ड किल यानी मार भी गिराया जा सकता है.
बता दें कि ड्रोन या यूएवी काफी नीचे उड़ान भरते हैं, जिससे इन्हें डिटेक्ट करना काफी मुश्किल माना जाता है. जब इन्हें डिटेक्ट करना चुनौती होता है, तो नष्ट करना उससे भी ज्यादा चुनौती भरा माना जाता है. नए स्वदेशी इंटीग्रेटेड सिस्टम से ड्रोन को डिटेक्ट भी किया जा सकेगा साथ ही नष्ट भी किया जा सकेगा. इसके रडार 8 किलोमीटर से ज्यादा रेंज तक ड्रोन को डिटेक्ट कर सकते हैं. इसी तरह पैसिव रेडियो फ्रिक्वेन्सी डिटेक्शन सिस्टम की रेंज 5 किलोमीटर से ज्यादा है.
लेजर वेपन सिस्टम
सेना के पास पहले से ही कुछ और मजबूत और खास एंटी ड्रोन और रडार सिस्टम हैं. भारतीय सेना इसेअपनी जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल करती हैं. भारत के मौजूदा ड्रोन सिस्टम में सबसे खास है स्वाति रडार सिस्टम. इस सिस्टम को भी आर्मी ने बॉर्डर पर तैनात किया है.
LASER वेपन सिस्टम के लिए सेना ने अगस्त 2021 में कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था जो अब उन्हें मिल गए हैं. इस सिस्टम में अलग अलग तरह के रडार हैं. पेसिव रेडियो फ्रीक्वेंसी डिटेक्टर है, सॉफ्ट किल के लिए जैमर है और हार्ड किल के लिए लेजर है. सबसे खास बात तो यह है कि इस भारत में ही डेवलप किया गया और बनाया गया.
हाल ही में पोखरण फायरिंग रेंज में हुई ‘भारत शक्ति’ एक्सरसाइज में भी इन सिस्टम को दिखाया गया था. यह आर्मी, नेवी और एयरफोर्स की पहली ऐसी जॉइंट एक्सरसाइज थी जिसमें सारे स्वदेशी वेपन सिस्टम और प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया गया.