संभल की विवादित जामा मस्जिद में हुए दंगों और सर्वे बाधित करने की घटनाओं ने धार्मिक और कानूनी विवाद को और गहरा दिया है। यह मामला न केवल कानून व्यवस्था बल्कि धार्मिक सहिष्णुता और प्रशासनिक प्रक्रिया की सफलता पर भी सवाल खड़े करता है।
मामले का विवरण:
- कोर्ट के आदेश और सर्वे की शुरुआत (19 नवंबर):
- संभल की जिला अदालत ने हिंदू पक्ष द्वारा जामा मस्जिद के परिसर में हरिहर मंदिर होने के दावे पर सर्वे का आदेश दिया था।
- सर्वे की सहमति मस्जिद कमिटी के अध्यक्ष जफर खां और अन्य सदस्यों से पहले ही ली गई थी।
- सर्वे टीम ने रात 10 बजे डीएम, एसपी और मस्जिद कमिटी के कुछ सदस्यों के साथ मस्जिद परिसर में प्रवेश किया था।
- अंदर सर्वे शुरू होने के कुछ देर बाद, 150-200 लोगों की भीड़ ने मस्जिद के बंद गेट को खोलने के लिए पुलिस के साथ धक्का-मुक्की की और परिसर में घुसकर सर्वे कार्य में बाधा डाली।
- दूसरी बार सर्वे और हिंसा (24 नवंबर):
- प्रशासन ने स्थिति सामान्य होने के बाद 24 नवंबर को दोबारा सर्वे की योजना बनाई।
- इस बार, मस्जिद के बाहर भारी पुलिस बल की तैनाती के बावजूद, मुस्लिम भीड़ ने सड़कों पर उतरकर पत्थरबाजी और हिंसा शुरू कर दी।
- फोन कॉल्स के जरिए भीड़ को इकट्ठा किया गया था, जिसकी रिकॉर्डिंग भी सामने आई है।
- हिंसा के बाद कार्रवाई:
- पुलिस ने दंगाइयों की पहचान के लिए 250 से अधिक लोगों के पोस्टर जारी किए हैं।
- प्रशासन ने त्रिस्तरीय सुरक्षा और संवेदनशील क्षेत्रों में निगरानी के साथ स्थिति को नियंत्रित करने के उपाय किए हैं।
- मस्जिद कमिटी और दंगाइयों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
घटना का राजनीतिक और सामाजिक पहलू:
- रिपोर्ट्स के अनुसार, मस्जिद परिसर में भीड़ को कुछ राजनीतिक हस्तियों के इशारे पर लाया गया था।
- यह मामला धार्मिक और राजनीतिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने का उदाहरण बन रहा है, जिससे स्थानीय तनाव और बढ़ सकता है।
प्रशासनिक चुनौतियाँ और आगे की योजना:
- सुरक्षा और शांति सुनिश्चित करना:
- पुलिस और प्रशासन ने संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा कड़ी कर दी है और ड्रोन से निगरानी की जा रही है।
- प्रशासन मौलवियों और सामाजिक नेताओं से लगातार शांति बनाए रखने की अपील कर रहा है।
- कानूनी कार्रवाई:
- हिंसा में शामिल लोगों की पहचान और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है।
- कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए सर्वे कार्य को पूरा करना प्रशासन की प्राथमिकता है।
- धार्मिक और सामुदायिक संवाद:
- धार्मिक और सामुदायिक नेताओं के बीच बातचीत कर शांति बहाल करने के प्रयास जारी हैं।
- प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि धार्मिक स्थल पर कोई अवैध गतिविधि न हो और संवेदनशील मुद्दे पर कोई भड़काऊ गतिविधि न की जाए।
दंगे में फोन कर बुलाए लोग
संभल दंगे में हो रही जाँच में और भी खुलासे हो रहे हैं। अब सामने आया है कि दंगाइयों ने मस्जिद के पास के इलाके में और लोगों को फोन करके इकट्ठा किया था और इसने ‘सामान’ लाने को कहा था। ‘सामान’ इस क्षेत्र में तमंचे या हथियार को कहा जाता है।
ऐसी ही एक कॉल रिकॉर्डिंग में एक युवक बोलता है, “सामान लेकर आ मस्जिद के पास, मेरे भाई का घर है।” इस कॉल रिकॉर्डिंग के सामने आने के बाद पुलिस ने तीन और युवकों को पकड़ा है। कॉल से पहचाने जाने वालों के नाम आमिर पठान, मोहम्मद अली और फैजान अब्बासी के तौर पर हुई है।
पुलिस अब इनसे पूछताछ कर यह जानकारी जुटाने की कोशिश कर रही है कि आखिर कहाँ-कहाँ से दंगाई आए और अब वह कहाँ हैं। पुलिस को इन दंगाइयों ने 49 और दंगाइयों के नाम बताए हैं। इनको पकड़ने का पुलिस प्रयास कर रही है। दंगाइयों के पास से मिले सबूतों की अभी पुलिस जाँच कर रही है।
पोस्टर भी जारी, 250 की तलाश
संभल में हुई हिंसा में 5 लोगों की मौत हो गई थी। इस दौरान कई पुलिसकर्मी घायल भी हुए थे। एक पुलिस अफसर के गोली लगी थी। कई पुलिसवालों के हथियार भी मुस्लिम दंगाई भीड़ ने छीन लिए थे। अब इस मामले में यूपी पुलिस कार्रवाई कर रही है। पुलिस ने 7 FIR दर्ज की हैं। कुल 27 लोग भी गिरफ्तार किए गए हैं।
गिरफ्तार किए जाने वालों में 2 महिलाएँ भी हैं। बाकी दंगाइयों और उन्हें भड़काने वालों की गिरफ्तारी के लिए पोस्टर भी निकलवाए हैं। यूपी पुलिस ने 250 दंगाइयों के पोस्टर संभल छपवाए हैं। इन्हें संभल के प्रमुख स्थानों समेत सोशल मीडिया पर प्रसारित किया जाएगा। पुलिस ने इनमें दंगाइयों की तस्वीरें CCTV के मदद से निकाली हैं। उनके नाम की भी डिटेल लिखी गई हैं।
गौरतलब है कि 24 नवम्बर, 2024 को शाही मस्जिद में वकील विष्णु शंकर जैन समेत बाकी टीम सर्वे के लिए पहुँची थी। इसी दौरान बड़ी भीड़ मस्जिद के पास इकट्ठा हो गई और उन्होंने पत्थर बरसाए। इस दंगे में 5 लोगों की मौत हो गई थी। वर्तमान में संभल में शांति है लेकिन भारी पुलिस बल तैनात है।